तालाब पर हुआ है अतिक्रमण
छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रियों की करतूतें थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री पानी बचाने आंदोलन का आगुआ बने हैं दूसरी तरफ उन्हीं के मंत्री तालाब पाटने वाले को बचा रहे हैं। मामला सरजूबांधा तालाब पाटने का है। इस पर हुए अतिक्रमण को तोड़ने का आदेश तक हो गया है लेकिन अतिक्रमणकारी नवल किशोर अग्रवाल की पहुंच दमदार मंत्री तक है इसलिए निगम भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक लोहार चौक निवासी नवल किशोर अग्रवाल के द्वारा टिकरापारा स्थित सरयूबांधा तालाब में कब्जा किया है। इनके द्वारा यहां किए लम्बे चौड़े कब्जे में प्रिटिंग प्रेस चलाने की भी खबर है। बताया जाता है कि जब इसकी खबर पार्षद सतनाम सिंह को हुई और लोगों ने पार्षद से शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की तो पार्षद ने इसकी शिकायत निगम आयुक्त से की।
इधर इस मामले में जोन 6 के तत्कालीन कमिश्नर ने 1 जून 2010 को पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर नवल किशोर अग्रवाल के कब्जे को हटाने पुलिस बल की मांग की। बताया जाता है कि जैसे ही अतिक्रमण हटाने की जानकारी नवल किशोर अग्रवाल को हुई उन्होंने दमदार मंत्री से एप्रोच किया और बताया जाता है कि दमदार मंत्री ने न केवल जोन कमिश्नर को हड़काया बल्कि पुलिस को भी फोन कर बल नहीं उपलब्ध कराने कह दिया।
इधर विभागीय मंत्री से भी नवलकिशोर अग्रवाल के संबंध की चर्चा है और लेन देन की चर्चा के बीच यह भी चर्चा है कि निगम ने अब इस अतिक्रमण को हटाने से पल्ला झाड़ लिया है। बताया जाता है कि इस मामले को लेकर टिकरापारा में जबरदस्त आक्रोश है। एक तरफ प्रदेश के मुखिया पानी बचाने की नाटकबाजी में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं शिवनाथ नदी का इंजीनियर की तरह हवाई सर्वेक्षण में लाखों रुपए फूंके जा रहे हैं और दूसरी तरफ राजधानी में तालाब पाटने में मंत्रियों की रूचि है। ज्ञात हो कि आमापारा स्थित कारी तााब को भी इसी दमदार मंत्री की वजह से पाटा जा रहा है जबकि तेलीबांधा से लेकर पुरानीबस्ती के तालाबों पर अतिक्रमण की अपनी कहानी है।
बहरहाल सरयूबांधा तालाब के कब्जे हटाने का मामला पूरे शहर में चर्चा का विषय है। चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री पानी बचाने के लिए भाषणबाजी बंद कर अपने मंत्रियों की करतूतों पर लगाम लगाए तो राजधानी के कई तालाब व बगीचे बच सकते हैं।
... saarthak abhivyakti !!!
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