बाबूलाल अग्रवाल जब सचिव थे
जब बाबूलाल अग्रवाल स्वास्थ्य सचिव थे उन दिनों सीएमओ रही डॉ. किरण मल्होत्रा के कार्यकाल में हुई घपलेबाजी परत दर परत खुलने लगे हैं। पैसा लेकर ऐसे 10 लोगों को कम्पाउण्डर बना दिया जो गणित संकाय के थे। जबकि विज्ञापन में बायो संकाय मांगा गया था।
आम लोगों के जीवन की देखरेख के लिए बने स्वास्थ्य विभाग में रमन सरकार की क्या मंशा रही है यह साफ तौर पर यहां हुई घपलेबाजी की परतें खुलने से सामने आने लगी है। स्वास्थ्य जैसे गंभीर विभाग में यह घपलेबाजी तब हुई जब वे व्यक्ति स्वास्थ्य सचिव थे जिन्हें सरकार ने आयकर विभाग के छापे के बाद बहाली में एक मिनट की भी देर नहीं की।
इस बार जो मामला सामने आया है वह विभाग द्वारा कम्पाउण्डर (फार्मेसिस्ट) के पदों पर भर्ती का है। वैसे तो यहां संविदा नियुक्ति से लेकर अनुकम्पा नियुक्तियां तक पैसे लिए बिना नहीं की जाती। बताया जाता है कि जब डॉ. किरण मल्होत्रा सीएमओ थी तब फार्मेसिस्ट में भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। विज्ञापन में जो शर्ते थी उसके मुताबिक बायोलॉजी के विद्यार्थी ही इसके लिए पात्र हो सकते थे लेकिन कहा जा रहा है कि जब नियुक्तियां दी गई तो 10 ऐसे लोगों को नौकरी दी गई जो गणित संकाय से थे। मामले की तब शिकायत भी हुई लेकिन उच्चस्तरीय लेन-देन कर मामला दबा लिया गया। एक बार यह मामला फिर खुलने लगा है और शीघ्र ही जांच कमेटी बनाए जाने की चर्चा है।
वैसे कर्मचारियों का कहना है कि यदि यहां की जांच करानी है तो उच्च स्तरीय कमेटी बनानी चाहिए जो सचिव बाबूलाल अग्रवाल और डॉ. किरण मल्होत्रा के कार्यकाल की जांच करें। कर्मचारियों का दावा है कि यदि इन दोनों अधिकारियों के कार्यकाल की जांच हुई तो कई लोग जेल के सलाखों के पीछे जाएंगे। शायद यही वजह है कि हर बार जांच की मांग तो होती है लेकिन पूरे मामले को दबा दिया जाता है। बहरहाल स्वास्थ्य विभाग के घपले परत दर परत खुलते जा रहे हैं और सरकार की इस ओर अनदेखी को लेकर आम लोगों में बेहद तीखी प्रतिक्रिया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें