आयकर विभाग के छापे के बाद जिस आईएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल को भाजपा सरकार ने आनन-फानन में बहाल कर दिया इस बाबूलाल को स्वास्थ्य विभाग में हुए बहुचर्चित घोटाले के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। संचालक से लेकर कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने वाले अब बाबूलाल अग्रवाल के खिलाफ क्या रुख अख्तियार करता है यह चर्चा का विषय है।
स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपए के कलर, डॉपलर, मल्टी पैरा मानिटर उपकरण एवं दवाई खरीद मामले में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब स्वास्थ्य सचिव विकासशील ने इस पूरे मामले की जांच कराई तो पता चला कि तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव बाबूलाल अग्रवाल ने जिस आनन-फानन में संचालक के प्रस्ताव पर कार्रवाई की और आवक-जावक रजिस्टर में भी अंकित नहीं किया गया वह न केवल आश्चर्यजनक है बल्कि सीधे-सीधे बाबूलाल अग्रवाल पर जिम्मेदारी तय करने के लिए काफी है। इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव विकासशील ने अपनी जांच रिपोर्ट में कई तथ्यों का खुलासा करते हुए कहा है कि प्रस्ताव कुल 9 करोड़ 10 लाख के उपकरण खरीदी का था जिसमें 2 करोड़ 5 लाख का प्रावधान नवीन मद पर किया गया था। चूंकि यह खरीदी राय शासन से अनुमोदन के बाद ही कि जा सकती थी इसलिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया जबकि वित्त विभाग से सहमति लेना भी जरूरी है। लेकिन वित्त विभाग से सहमति लेना जरूरी नहीं समझा गया और प्रस्ताव 22 जुलाई को सचिव बाबूलाल अग्रवाल के पास भेजा गया इसे सचिव ने 27 जुलाई को स्वास्थ्य संचालक को लौटा दी इसके बाद संचालक ने 29 जुलाई को सचिव के पास नस्ती प्रस्तुत की और 1 सितंबर को नस्ती में मतांतर दे दिया गया यानी 6 दिन के भीतर सब कुछ कर दिया गया। जबकि बात मंत्री तक जानी थी लेकिन नहीं भेजा गया। यहीं नहीं सचिव के कार्यालय से नस्ती भेजने का आवक-जावक भी अंकित नहीं किया गया।
बताया जाता है कि इस जांच रिपोर्ट के बाद अब स्वास्थ्य सचिव रहे बाबूलाल अग्रवाल पर पुन: उंगली उठने लगी है। इधर आयकर छापे के बाद राय सरकार ने जिस आनन-फानन में बाबूलाल अग्रवाल को राजस्व मंडल में बिठाया उसे लेकर पहले ही सरकार कटघरे में है ऐसे में इस रिपोर्ट के खुलासे से सरकार के लिए नई मुसीबत आ सकती है। जबकि बाबूलाल की बहाली को लेकर सीएम हाउस पर ही लेनदेन का आरोप लगता रहा है।
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