छत्तीसगढ़ में बैठी सरकार के लिए विकास के मायने सिर्फ और सिर्फ शहरों व अमीरों को सुविधा देना रह गया है। डॉ. रमन सिंह और उसकी पूरी सरकार भले ही विकास के दावे करते रहे लेकिन गांव वालों के लिए आज भी विकास दुरह सपना बस है।
क्या सरकार बता पाएगी कि इन 7 वर्षों में सड़क पर जितने खर्च किए है उसके मुकाबले किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने की कितनी व्यवस्था हुई है। किसान इन दिनों सरकार की करतूतों को लेकर आंदोलित है। कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू छत्तीसगढ़ियां व किसान होते हुए भी कुछ नहीं कर रहे हैं वे कुछ करना भी चाहे तो कुर्सी का मोह उन्हें कुछ करने नहीं दे रहा है। छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए मौत का वारंट जारी करने का दावा करने वाले किसान नेता भी अपनी ढुलमुल नीति और स्वार्थ में लगे हैं। वे सरकार को किसान विरोधी तो बताते हैं लेकिन अपने को राजनैतिक उद्देश्य से दूर रखने भाजपा के खिलाफ कुछ भी करने से अपने को अलग करते हैं। सर्वत्र स्वार्थ ने इस नए नवेले छत्तीसगढ़ को विकास से दूर कर दिया है। पेड़ के नीचे विधानसभा लगाने का दावा करने वाले नेता अब नई राजधानी के निर्माण में अरबों रुपया खर्च कर रहे हैं। अधिकाधिक सुविधा जुटाने की कोशिश में लगे नौकरशाहों के साथ मिलकर शहरी विकास की ओर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।लगातार जोत की जमीन कम होते जा रही है। कभी राजधानी के नाम पर तो कभी शहर और कस्बों के नाम पर या तो उद्योगों के विस्तार के लिए खेती की जमीनें किसानों से छिनी जा रही है। कौड़ियों के मोल किसानों की जमीनों को उद्योगों को दिया जा रहा है और इसे ही विकास बताये जा रहे हैं। दरअसल सीधे-साधे छत्तीसगढ़ियों के साथ जिस तरह से सरकार खेल रही है वह अत्यंत दुर्भाग्यशाली है और नए नवेले राय के विकास को सालों पीछे ढकेलने वाली है।
हमने लगातार यह जानने की कोशिश की कि आखिर ग्रामीण विकास के लिए सरकार की नीति क्या है लेकिन जितने खर्च शहरों के विस्तार और सड़कों के विस्तार पर सरकार का ध्यान है उसके मुकाबले 2 फीसदी भी सरकार की रूचि नहीं हैं। छत्तीसगढ ग़ांवों का प्रदेश है यहां की एक बड़ी आबादी गांवों पर निर्भर है ऐसे में गांवों में सुविधा नहीं देने का क्या मतलब लगाना चाहिए। यदि सरकार का दावा विकास है तो क्या उनके पास इस सवाल का जवाब है कि सिर्फ सड़कें बना देने से गांवों का विकास हो जाता है बल्कि गांवों तक सड़क बनाने का मतलब शोषण के नए रास्ते खोलना है। पानी के अभाव में किसानी से त्रस्त किसानों को रुपयों का लालच देकर जमीन खरीदने की एक बड़ी साजिश तो नहीं है? ताकि अपने घर से बेघर हो सके।
किसानों से चुनाव पूर्व किए गए 270 रुपए बोनस का वादा निभाने की बात तो दूर नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया ताकि बिजली न देना पडे। चांपा-जांजगीर जैसे सिंचित क्षेत्रों की जमीनें उद्योगों को बिजली बनाने कौड़ियों के मोल दी जा रही है। ऐसे में किसानों का आंदोलन कर रहे लोगों को जिला बदर की तैयारी करते प्रशासनिक अमले क्या प्रदेश को नई दिशा देना चाहते हैं यह तो सरकार को ही बताना होगा।
सड़क बनाने का मतलब शोषण के नए रास्ते खोलना है------ कौसल भाई नमस्कार : नक्सली तो बरसों से यही बोलते आ रहे है । सच तो यही है की भाजपा और कांग्रेस दोनों ही की राजनीती के सूत्रधार यही आमिर लोग ही है ।
जवाब देंहटाएंखेतों में पानी, कमाई पर पानी
जवाब देंहटाएंरास्ता बनाना, रास्ता निकालना
निकालने का योजना चमत्कार है
पानी और रास्ता यमक अलंकार है
पानी पहुंचाना पानी फेरना
जवाब देंहटाएंरास्ता बनाना रास्ता निकालना
इही म सत्ता के चमत्कार हे
दूनो लाईन म यमक अलंकार हे