मंत्रियों-अधिकारियों व नेताओं की संपत्ति कई गुणा हुई
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में अंतत: केंद्रीय मंत्री राजा को इस्तीफा देना पड़ा लेकि छत्तीसगढ़ में भी कई मंत्री व अधिकारी हैं जिन्होंने रातों रात अपनी संपत्ति कई गुणा कर ली। पर्यटन में रोपवे घोटाले हो या पीडब्ल्यूडी में सड़क घोटाले, शिक्षा विभाग स्वास्थ्य, खनिज ऊर्जा में तो घोटाले की फेहरिस्त है लेकिन इस ओर न तो विपक्षी कांग्रेस का ही ध्यान है और न ही जांच एजेंसी की रूचि ही है।
छत्तीसगढ़ राय बनने के बाद यदि भाजपा द्वारा अजीत जोगी सरकार के घोटाले की फेहरिस्त उजागर की गई और सत्ता में आते ही इन घोटालों पर से पर्दा नहीं उठाया गया तो इसके पीछे भाजपा सरकार में मंत्रियों व अधिकारियों की करतूतें हैं जिन्होंने 5-7 सालों में ही अपनी संपत्ति कई गुणा बढ़ा ली। आश्चर्य का विषय तो यह है कि इन मामलों में कांग्रेस की भूमिका भी संदिग्ध होने लगी है। रमन सरकार के सर्वादिक चर्चित घोटाले में स्वास्थ्य विभाग का घोटाला है जिसके आरोपियों को सरकार संरक्षण दे रही है। करोड़ों रुपये के डाफ्टर खरीदी के अलावा पूर्व स्वास्थ्य सचिव बाबूलाल अग्रवाल के मामले में भी रमन सरकार कटघरे में है। आनन-फानन में बहाली की वजह सीए हाऊस पर लेन-देन का आरोप भी लग चुका है। यहां दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के विभागों मेंहुए घोटाले की कहानी को भी बेशर्मी से दबाई गई। बृजमोहन अग्रवाल जब गृहमंत्री थे तब तो उनके भाईयों पर कई गंभीर आरोप ही न लगे बल्कि आम चर्चा यह रही कि उनके भाईयों ने इस दौरान गृहमंत्री की भूमिका निभाते रहे हैं और शहर ही नहीं कई क्षेत्रों में विवादास्पद जमीनों की खरीदी भी की। कबाड़ कांड के हीरो रहे कैलाश अग्रवाल भी बृजमोहन के रिश्तेदार हैं और उन पर चोरी का लोहा और ट्रक गायब करने तक के आरोप लगे हैं। संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में तो बृजमोहन अग्रवाल के लाड़ले भाई योगेश अग्रवाल पर न केवल कलाकारों को बुलाने एवज में दलाली लेने बल्कि मनमानी चलानेका भी आरोप लगता रहा है। बृजमोहन के एक अन्य विभाग पर्यटन में तो विवादास्पद अफसरों को खोज खोज के दूसरे विभाग से लाया गया। अजय श्रीवास्तव पर तो सिमगां कांड तक के आरोप रहे हैं और उसे बृजमोहन अग्रवाल ने दुग्ध संघ से पुलिस और फिर पर्यटन में लाया। पर्यटन में सिर्फ विवादास्पद अधिकारयिों की नियुक्ति का ही मामल नहीं है यहां अरपों रुपये के घोटाले की फाइलें जांच के अभाव में धूल खा रही हैं। स्टेशनरी घोटाला हो या मोटल निर्माण में घोटाले की बात हो। मोटलों के बाउण्ड्री से लेकर खास घोटाले यहां सुर्खियों में रहे हैं। तिरथगढ़ में रोप वे बनाने के लिए कानून बनाने के लिए बगैर नाम पते के किसी शुक्ला को 2 करोड़ दे दिया गया और इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बृजमोहन अग्रवाल के एक अन्य विभाग शिक्षा विभाग में तो भर्ती से लेकर तबादले और पदोन्नति में भी जमकर कमीशन खोरी की चर्चा रही। यही चर्चा पीडब्ल्यूडी में भी यह भी बृजमोहन अग्रवाल का ही विभाग है। सड़क निर्माण की इस एजेंसी में घटिया सड़क के एवज में करोड़ों रुपये खाये गये यही नहीं डामर घोटाले के आरोपी को भी बचा लिया गया। बृजमोहन ही नहीं अजय चंद्राकर पर भी करोड़ों रुपये अर्जित करने के आरोप लगते रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार के कई मंत्री व अधिकारी है जिन पर खुलेआम डंके की चोट पर भ्रष्टाचार करने के आरोप हैं।
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