शुक्रवार, 16 मार्च 2012

घटिया बायो गैस चूल्हा बांटने का औचित्य...


छत्तीसगढ़ सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार की कहानी थमने का नाम ही नहीं ले जा रहा है। हालात यह है कि हर काम में अधिकारियों की जेब भरो नीति से रमन सिंह की छवि को आघात लग रहा है और मंत्री कमीशन खाकर ऐसे अधिकारियों का बचाव कर रहे हैं।
डॉ. रमन सिंह आम लोगों के हित की योजना बनाने कहते हैं और अधिकारी ऐसी योजना बनाते हैं जिससे उनकी जेब गरम हो। प्रदेश में आदिवासियों को बांटे जा रहे बायो गैस चूल्हा का भी यही हाल है। एनजीओ के माध्यम से बंटवाये गए इस चूल्हे से प्रदेश का करोड़ों रूपया अधिकारियों और एनजीओ के जेब में चला गया और आदिवासी इस खराब चूल्हे को लेकर सरकार को कोस रहे है।
प्रदेश सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना के तहत 44 हजार 702 आदिवासी परिवारों को एनजीओ के माध्यम से बायो गैस चूल्हा बांटा गया और जब इसके खराब निकलने की शिकायत पर जांच हुई तो यह सही पाया गया। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कोरबा और कोण्डागांव में एनजीओ का भुगतान रोक दिया गया। जबकि बाकी जगह पर जांच के नाम पर मामले को लटका दिया गया।
करोड़ों रूपये की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर जिस तरह से बंदरबांट हुई है वह अंयंत्र कहीं देखने को नहीं मिलेगा। इस मामले का सबसे रोचक पक्ष तो यह है कि कि बायो गैस चूल्हा बांटने का काम उन्हीं एनजीओ को सौंपा गया जिनमें अधिकारियों व नेताओं के रिश्तेदार हैं। यह अत्यंत दुर्भाग्य जनक है कि आदिवासियों के नाम पर चल रही इस पूरी योजना को फ्लॉप करने वाले अधिकारी अभी तक कुर्सी पर जमें हुए हैं।
विकास की ओर बढ़ रहे छत्तीसगढ़ में जिस पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है उसे रोक पाने में सरकार पूरी तरह विफल हो गई है। अधिकारियों की मनमानी चरम पर है। ईमानदारों को प्रताडि़त कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है। उद्योगों को करोड़ों रूपये की छूट देकर आम आदमी के बिजली में बढ़ोत्तरी की जा रही है। मनोज डे से लेकर बाबूलाल अग्रवाल जैसे अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए हैं और जांच के नाम पर बड़े से बड़ा मामला लटकाया जा रहा है। एंटी करप्शन ब्यूरों की कार्रवाई बताती है कि अनुपातहीन संपत्ति वाले अधिकारियों की संख्या कहां तक जा सकती है लेकिन ऐसे छापों के औचित्य पर सरकार में बैठे लोग सवालिया निशान लगाने में आमदा है और कोर्ट में चालान पेश करने की अनुुमति ही नहीं दी जाती। हालात यह है कि कई मीडिया कर्मी दलाल के रूप में चर्चित होने लगे हैं।
बायो गैस चूल्हा वितरण में जिस पैमाने पर गड़बड़ी हुई है उसके लिए कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो यह सिलसिला अंतहीन हो जायेगा...।
-कौशल तिवारी

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