शनिवार, 17 मार्च 2012

किरण बिल्डिंग का बंद लिफाफा खुला घपला ही घपला, पर कार्रवाई नहीं


किरण बिल्डिंग का बंद लिफाफा खुला घपला ही घपला, पर कार्रवाई नहीं
किरण बिल्डिंग कांड की जांच रिपोर्ट में न केवल नियमों की अनदेखी की गई  है बल्कि निर्माण में भी जरबदस्त अनियमितता उजागर हुई है जांच समिति ने कार्रवाई की सिफारिश करते हुए कोटक बुक स्टाल व मोहन चाय वाले को भी दुकान आबंटित करने की सिफारिश की है लेकिन जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के पांच माह बाद भी निगम द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि सड़क चौड़ीकरण योजना में किरण बिल्डिंग को पीछे की जमीन लीज पर दी गई। पहले यह जमीन रेलवे के पास थी। इस मामले को लेकर नगर निगम की सामान्य सभा में जबरदस्त हंगामा हुआ और अंतत: इस पूरे मामले की जांच के लिए समिति बनाई गई। जांच समिति जग्गू ठाकुर की अध्यक्षता में बनाई गई जिसमें प्रमोद दुबे, सूर्यकांत राठौर, सुनील बांद्रे, दीनानाथ शर्मा और जसबीर सिंह ढिल्लन के अलावा संदीप बागड़े नगर निवेशक एस एल पटेल सहायक अभियंता और राजेश राठौर सहायक अभियंता को रखा गया है।
समिति को निगम द्वारा किरण बिल्डिंग से संबंधित सभी कागजात सौंपे गए। चूंकि किरण बिल्डिंग मामले में भारी अनियमितता की चर्चा पहले हो चुकी थी इसलिए इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने का खेल भी हुआ।
बताया जाता है कि समिति को जांंच रिपोर्ट तैयार करने में ज्यादा समय नहीं लगा और जब जांच समिति ने निगम में अपनी रिपोर्ट 26-9-11 को रखी तो यह कहकर रिपोर्ट सार्वजनिक करने से मना कर दिया गया कि इसे आगामी बैठक में सार्वजनिक किया जायेगा तब तक इसे बंद लिफाफे में रखने का निर्णय लिया गया।
सूत्रों का कहना है कि किरण बिल्डिंग कांड के पीछे कई बड़े लोगों का हाथ है इसलिए भी जांच रिपोर्ट बड़े लिफाफे में रख दिया गया। कहा जाता है कि बंद लिफाफे में रिपोर्ट रखने के पीछे न केवल अपराधियों को बचाने की कोशिश की बल्कि मामले को ठंडा बस्ता में डालने का प्रयास भी था।
सूत्रों का कहना है कि नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी और बड़े लोग इस मामले को दबाने में कामयाब भी हो गए थे लेकिन तभी हमर संगवारी संस्था के इन्दरजीत छाबड़ा, राकेश चौबे व सर्वजीत सेन ने सूचना के अधिकार के तहत रिपोर्ट की कापी मांग ली। बताया जाता है कि बंद लिफाफा को निगम के अधिकारियों ने खोलकर देख लिया था और पूरे मामले को दबाने की जरबदस्त ढंग से कोशिश हो रही है। हमारे बेहद करीबी सूत्रों के मुुताबिक पुरे प्रकरण में जबरदस्त घपले बाजी हुई है और रिपोर्ट मिलने के 5 माह बाद भी कार्रवाई नहीं करने को लेकर लेनदेन की जबरदस्त चर्चा है। कहा जाता है कि इस मामले में नगर निवेशक संदीप बागड़े की भूमिका संदेहास्पद है। चूंकि नगर निवेशक के पद पर संदीप बागड़े है अत: कार्रवाई उन्हें ही करना है लेकिन उनकी चूप्पी को लेकर संदेह स्वाभाविक है।
बताया जाता है कि कन्हैया लाल से लेकर दिलीप नैनानी सहित यहां स्थित अन्य ने भी न केवल नक्शे के विपरित निर्माण कराया है बल्कि अतिरिक्त कब्जा भी किया है। संदीप बागड़े पर संदेह की उंगली उठने लगी है और चर्चा यह है कि निगम के अधिकारियों से लेकर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को भी इस मामले में चुप्पी के लिए खूब नोट बांटे गए हैं।

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