गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

निजी डॉक्टरों को फायदा पहुंचाने सरकारी योजनाओं की अनदेखी


करोड़ो रूपए अनुपयुक्त पड़े रहे
 वैसे तो इस सरकार पर उद्योगपतियों का तमगा नया नहीं है। लेकिन निजी डॉक्टरों व नर्सिंग होमों को फायदा उठाने के लिए जिस तरह से अपने ही अस्पताल को सुविधा से वंचित रखने का खेल डॉक्टर होते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में खेला जा रहा है। वह शर्मनाक ही नहीं दुर्भाग्यपूर्ण है।
चावल से लेकर सायकल बांटकर नाम कमाने में विश्वास रखने वाली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भले खुद डॉक्टर है लेकिन इनकी रूचि आम लोगों की चिकित्सा सुविधा ठीक से देने की नहीं है। यहां तक केन्द्र की राशि का भी ये ठीक से उपयोग नहीं कर पा रहे है और इसकी वजह से आम आदमी निजी नर्सिंग होम के चक्कर में अपना सब कुछ लूटा रही है। डॉ रमन लाख दावा करे की उनकी सरकार गरीबों की हितचिंतक है। लेकिन सीएजी की रिपोर्ट ने यह चौकाने वाला खुलासा किया। बकौल सीएजी इससे स्पष्ट था कि भारत सरकार से वित्तिय सहायता प्राप्त करने होने के बाद भी केन्द्रीय योजना के धीमी गति से क्रियान्वयन के कारण राज्य की जनता योजना में प्रावधानित विशिष्ट आयुष चिकित्सा सेवाओं से वंजित रही। सीएजी की इस टिप्पणी को भले ही रमन सरकार और पूरी भाजपा काल्पनिक बता रही हो लेकिन इस टिप्पणी से यह बात तय हो गया है कि सरकार की मंंशा गांव वालों के लिए क्या है। निजी अस्पतालों को बढ़ावा देने के षडय़ंत्र के चलते सरकार ने जानबूझ कर पैसा रहते हुए सरकारी चिकित्सा सुविधाओं को पंगु बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखा है। सरकारी अस्पताल को लेकर सीएजी ने अपनी जांच के बाद स्पष्ट किया है कि सरकार ने जिला एलोपैथिक चिकित्सालयों में आयुष प्रकोष्ठ की स्थापना नहीं की और जहां कहीं इसकी स्थापना की भी तो वह अत्यंत काम चलाऊ रहा। इसी तरह सरकार ने सामुदायिक स्वस्थ्य केन्द्रों में विशेषीकृत चिकित्सा केन्द्रों की स्थापना में भी ठीक से रूचि नहीं दिखाई है। 22 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से 20 में यह योजना ही लागू नहीं की गई। यहां तक की केन्द्र सरकार से प्राप्त इस योजना की 3 करोड़ रूपए अनुपयुक्त पड़ी रही। जबकि बचे 2 में से केवल बलौद में ही स्थिति ठीक ठाक थी। यहीं नहीं सरकार ने इस योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए कर्मचारियों की जरूरतों को भी नजर अंदाज किया। ज्ञात हो कि प्रदेश के निजी नर्सिंग होमों की लूटपाट से आम आदमी त्रस्त है। हालत यह है कि निजी चिकित्सालयों में ईलाज कराने वाले स्वयं को ठगा महसूस कर रहे है। लेकिन सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं है। नर्सिंग होम के मनमाने फीस व लूटखसोट को सरकार द्वारा छूट दिया गया है कहा जाए तो अतिशंयोक्ति नहीं होगा। सूत्रों का कहना है कि सीएजी रिपोर्ट ने जिस तरह से पर्याप्त केन्द्रीय फंड के उपयोग नहीं करने का खुलासा किया है उसके बाद तो इन सबके पीछे षडय़ंत्र की बू आने लगी है कि  सरकार जानबूझ कर आम लोगों को सुविधा देने की बजाय स्लाटर हाऊस बन चुके नर्सिंग होम में ढकेल रही है। जहां ईलाज के नाम पर आम आदमी को लूटने का गोरख धंधा चल रहा है।
बहरहाल सीएजी की रिपोर्ट में इस खुलासे के बाद सरकार का रूख क्या होगा यह देखना है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें