गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

हाथियों के आंतक से मुक्ति के लिए अभ्यारण्य क्यों नहीं !



हाथियों की वजह से सौ से उपर जाने गई

तीन हजार से अधिक घर टूटे
हजारों एकड़ फसलों का नुकसान
सरगुजा-जशपुर और कोरबा क्षेत्र में उत्पात बिलासपुर और सरगुजा संभाग में आए दिन हथियों के आतंक के बावजूद हाथी अभ्यारण्य को मंजूरी नहीं देने का मामला तूल पकडऩे लगा है। इन संभागो के सरगुजा जशपुर और कोरबा क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में न केवल हाथियों का आतंक बढ़ा है बल्कि जान के अलावा घरों और फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। हर साल प्रदेश सरकार को नुकसान के एवज में लाखों रूपये मुआवजा देना पड़ता है।
छत्तीसगढ़ के सरगुजा-जशपुर और कोरबा क्षेत्र में हाथियों का आतंक नया नहीं है। यहां हर साल हाथियों के द्वारा घरों और फसलों को तो नुकसान पहुंचाया ही जाता है लोगों की जान भी जाती है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्ष 2009-10 में हाथियों के आतंक के चलते 19 जाने गई थी और 804 घर तथा 8152 सड़क फसल को नुकसान पहुंचा था इनमें सरगुजा में 12, जशपुर में 6 और कोरबा में 1 व्यक्ति की मौत हुई थी। जबकि वर्ष 2010-11 में 16 मौते और 9183 एकड़ फसल और 736 घर बरबाद हुए वर्ष 2011-12 में यह आंकड़ा और बढ़ गया तथा 24 लोग कात कल्वित हुए वर्ष 2012-13 मेें 11 जाने गई और 11 हजार एकड़ से अधिक फसल को नुकसान पहुंचा।बताया जाता है कि हाथियों के आतंक से मुक्ति के लिए स्थानीय ग्रामीण और वन विभाग द्वारा हर साल इंतजाम किये जाते है लेकिन हाथियों के आतंक के आगे से इंतजाम धरे के धरे रह जाते हैं। यही वजह है कि प्रदेश सरकार ने हाथी अभ्यारण्य बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। बताया जाता है कि हाथी अभ्यारण्य का मामला राजनीति का शिकार हो गया है जिसकी वजह से यह प्रस्ताव खटाई में चला गया है। हालांकि हाथी अभ्यारण्य के लिए जगह भी प्रस्तावित कर दिया गया है लेकिन इस स्थान पर कोयले की खदाने होने की वजह से भी मामला उलझ गया है।
प्रस्तावित जगह में कोयला खदान चालू करने जिस तरह से खेल चल रहा है वह भी चर्चा की विषय है।
बहरहाल हाथियो से हो रहे नुकसान को नजर अंदाज करना कहीं भारी भूल साबित न हो जाए।

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