हसदेव में जन सुनवाई से पहले एनआईए का छापा
अर्बन नक्सली होने का संदेह...
छत्तीसगढ़ के जामुल निवासी श्रमिक नेता कलादास डहरिया के निवास पर एनआईए की दबिश को लेकर श्रमिक संगठनों में हंगामा मच गया है। नक्सलियों से संबंध को लेकर की गई इस कार्रवाई में छत्रीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़े कलादास डहरिया लंबे समय से मजदूरों की हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और इसी कड़ी में उन्होंने अदानी के सब द्वारा खरीदे गये सीमेंट कंपनी एसीसी में भी मजदुरों के हक में आवाज उठाई थी। कहा जाता है कि वे हसदेव बचाओ आंदोलन को लेकर भी बेहद सक्रिय हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ एनआईए की टीम ने छापेमारी के दौरान न केवल कलादाएस डहरिया से पांच घंटे पूछताछ की बल्कि घर की तलाशी लेकर लेपटाप, पेन ड्राइव और मोबाईल फोन को जब्त किया है।
बताया जाता है कि एन आई ए की टीम ने यह कार्रवाई रेला नाम के एक एनजीओ को लेकर की है जिसका पर्चा भी डहरिया के घर से बरामद हुआ है जिसका संबंध झारखंड से है, कलादास डहरिया को एक अगस्त को पूछताछ के लिए रांची बुलाया गया है।
रेला संगठन के बारे में कहा जाता है कि यह संस्था किसान, मजदूर और आदिवासियों को संगठित करने का काम करता है।
पांच अलग- अलग गाड़ियों में पहुंची एन आईए की टीम ने कलादास डहरिया की लड़की से भी पूछताछ की है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि फिलहाल कोई संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई है।
इधर कलादास डहरिया ने आरोप लगाया है कि एनआईए की पूरी कार्रवाई सरकार के इशारे पर की जा रही है। चूंकि वे एसीसी सीमेंट कंपनी में मजदुरों की आवाज उठाते रहते हैं और अब जब एसीसी को अडानी ने खरीद लिया है तब भी वे मजहरों के हक की आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसलिए सरकार उनकी आवाज बंद कर देना चाहती है। उन्होंने एक अगस्त को रांची जाने की बात कहते हुए कहा कि मजदूर किसान और आदिवासियों की हितों की बात वे करते रहेंगे। ऐसी कार्रवाइयों से उन्हें और बल मिलता है।
इधर दो अगस्त को अडानी की एक अन्य कंपनी के मामले में होने वाले जनसुनवाई से भी इसे जोड़कर देखा जा रहा है।
राजस्थान बिजली कंपनी के लिए हसदेव की कटाई को लेकर दो अगस्त को होने वाली जन सुनवाई को लेकर जबरदस्त विरोध की खबर के बीच एनआईए की कार्रवाई को लेकर एक बार मोदी सरकार फिर निशाने पर है। देखना है कि अदानी की कंपनियों के विस्तार को लेकर और क्या क्या खबरें आती है।
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