रविवार, 21 मार्च 2010

रमन बने असरदार,क्योंकि वे हैं लाचार|जोगी की दमदारी पर इंडिया टुडे कायल





यह तो देश की राजनैतिक परिस्थितियां ही है कि यहां फूलनदेवी जैसी डकैत सांसद के दरवाजे पर पहुंच जाती है और अंधेरगर्दी मचाने वाले देश के सबसे बड़े राय के मुख्यमंत्री बन जाते है। छत्तीसगढ क़े मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी तमाम घपलों-घोटालों के बाद भी छत्तीसगढ में सबसे असरदार माने जाते हैं तो इसकी वजह कांग्रेस में बिखराव के अलावा पैसों की भूख है जिसके आगे तमाम राजनेता नतमस्तक है।
इंडिया टुडे के ताजा सर्वे रिपोर्ट के आधार पर रमन सिंह इसलिए छत्तीसगढ क़े सबसे असरदार व्यक्ति है क्योंकि उन्होंने विरोधियों की हवा निकाल दी और अजीत जोगी को छोड़ अन्य कांग्रेसियों में चुनौती देने का साहस नहीं है। ऐसे में अजीत जोगी की दमदारी को इंडिया टुडे ने भी माना है भले ही कांग्रेसी न माने। सर्वे रिपोर्ट को लेकर डॉ. रमन सिंह के असरदार के पक्ष में जो बाते कही गई है उसमें दो रुपया किलो चावल का भी जिक्र है जो डॉक्टर रमन सिंह की लोकप्रियता का संवाहक बताया गया है।
हम यहां सर्वे के आधार को चुनौती नहीं दे रहे हैं बल्कि असरदार की परिभाषा को लेकर सवाल उठा रहे हैं। राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में डॉ. रमन सिंह असरदार इसलिए भी हैं क्योंकि वे प्रदेश के मुख्यमंत्री है। दरअसल असरदार की परिभाषाएं अब बदल गई है। नरेन्द्र मोदी क्यों असरदार है और फूलनदेवी क्या बगैर असरदार के चुनाव जीत सकती है। यूपी-बिहार में तो अपराधियों की जीत ही उनके असरदार होने का ईशारा करती है।
छत्तीसगढ में राजनैतिक परिस्थिति भले ही भाजपा के अनुकूल न हो लेकिन कांग्रेस के बिखराव ने उन्हें कुर्सी पर तो बिठा ही दिया है। रोज नए-नए घोटाले की कहानी बाहर आ रही है और मंत्रियों पर खुलेआम कमीशन लेने के आरोप लग रहे हैं। आरोप तो यहां तक है कि मुख्यमंत्री का न प्रशासन पर पकड़ है न शासन पर पकड़ है। मंत्री से लेकर अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं और विधानसभा तक को झूठी जानकारी दी जाती है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ में शासन-प्रशासन का क्या हाल है रही बात डॉ. रमन सिंह को चुनौती का तो वह तो कहीं नहीं दिखलाई पड़ता। इसकी वजह उनकी प्रशासनिक छवि है जो अधिकारियों और मंत्रियों को मनमानी करने की छूट देता है।
यह सर्वमान्य सिध्दांत है कि आप जब किसी के गलत कार्यों का विरोध नहीं करेंगे तो आपका कोई विरोध क्यों करेगा हालांकि राजनीति में महत्वाकांक्षा भी मायने रखता है तो बृजमोहन अग्रवाल को छोड़ रमन सिंह के लिए कहीं कोई दिक्कत नहीं है और डॉ. रमन सिंह ये बात जानते हैं इसलिए उन्होंने प्रदेश के कुल बजट का 20 फीसदी हिस्सा बृजमोहन अग्रवाल के पाले में कर दिया है ताकि उनका ध्यान कुर्सी की बजाय पैसे पर लगा रहे। बहरहाल सर्वे रिपोर्ट ने कांग्रेसियों के कान खड़े कर दिए है और देखना है कि इंडिया टुडे के इस सर्वे रिपोर्ट का कांग्रेस के अंदरूनी राजनीति में क्या असर डालता है।

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