रविवार, 21 मार्च 2010

मांढर कालेज में मनमानी,अफसरों की मेहरबानी


ठाकुर होने का फायदा उठाकर मांढर स्थित महाविद्यालय के संचालक अशोक सिंह ने कॉलेज में हुए घपलों की लीपापोती शुरु कर दी है। कहा जाता है कि उनके प्रभाव में आकर आदिम जाति विभाग और मंत्रालय में बैठे अफसरों ने उन्हें क्लीन चीट देने की योजना तक बना ली है।
मांढर कॉलेज में हो रहे घपलों पर विस्तार से प्रकाश डाला था और सूचना के अधिकार के तहत मिले सबूतों से स्पष्ट है कि यहां कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। आरक्षित बच्चों की फीस जिस तरह से कॉलेज संचालकों द्वारा हड़पा जा रहा है वह आश्चर्यजनक है। हालात यह है कि इस मामले में शिकायकर्ताओं को जांच अधिकारियों द्वारा सेंटिंग कर लेने के लिए प्रेरित किया जाता है इसी से समझा जा सकता है कि कॉलेज प्रबंधकों ने किस पैमाने पर यहां गोलमाल किया है।
बताया जाता है कि कॉलेज में हुए घपलेबाजी से प्राचार्य को अलग रखा गया है और इसकी उच्च स्तरीय जांच हुई तो यह भी सामने आ सकता है कि किस तरह से प्राचार्य के नाम पर दूसरे लोगों ने हस्ताक्षर कर राशि हड़प की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2006-07 शिक्षा सत्र में ध्रुवकुमार वर्मा प्राचार्य थे लेकिन छात्रवृत्ति रिकार्ड में अशोक सिंह ने हस्ताक्षर किए है। इसी तरह वर्ष 2007-08 व 2008-09 में 1 ही नाम से बीए, बीकॉम, पीजीडीसीए और डीसीए कोर्स की 1 साल में 3 बार छात्रवृत्ति निकाली गई है और आश्चर्य का विषय है कि इस सारे मामले की शिकायत उच्च स्तर पर की गई है और बकायदा शिकायतकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत कॉपी निकालकर जांचकर्ताओं और मुख्यमंत्री तक को कॉपी दी है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है पता तो यहां तक चला है कि ठाकुर होने का प्रभाव डालकर इस मामले को दबाने की कोशिश चल रही है।

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