ऐसी दमदारी तो सिर्फ
बृजमोहन के विभाग में ही
ऐसी दमदारी तो प्रदेश के दमदार माने जाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के विभाग में ही हो सकती है। जिस व्यक्ति को घूस लेने के आरोप में सजा सुनाई गई हो उसे बर्खास्त करने की बजाय शिक्षा विभाग ने बहाल कर दिया और अब जब मामला मुख्यमंत्री के जिले का हो तो क्या कहना।
मामला जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर कवर्धा में रहे नेतराम वर्मा का है। नेतराम वर्मा को एंटी करप्शन ब्यूरो ने 31 जुलाई 2001 को दो हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। नेतराम वर्मा ने नरेन्द्र कुमार मिश्रा को पदोन्नति देने पैसे की मांग की थी।
इस मामले में 21 जुलाई 2008 को कवर्धा के विशेष न्यायाधीश ने नेतराम वर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अलग-अलग घटनाओं के तहत दोषी पाते हुए क्रमश: 6 माह और एक साल के सश्रम कारावास और दस हजार रुपए की सजा सुनाई थी। यह सजा साथ-साथ चलना था। सजा के बाद एंटी करप्शन ब्यूरों ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर नेतराम वर्मा को बर्खास्त करने की गुजारिश की।
आश्चर्य का विषय तो यह है कि शिक्षा विभाग ने इस घूसखोर अधिकारी को बर्खास्त करने की बजाय इन्हें कोरिया जिले में प्राचार्य बना दिया। इस संबंध में जब संचालक लोक शिक्षण संचालनालय के.आर. पिस्दा से बात की तो उन्होंने कहा कि उनकी बहाली का निर्णय शासन स्तर पर किया गया है। इस संबंध में जब पतासाजी की तो विभाग में उच्च स्तर पर लेन-देन की चर्चा सामने आई और मंत्री पर भी आरोप लगाए गए।
दुनिया में अपनी तरह का मिसाल कायम करने वाले इस कारनामें से शिक्षा जैसे पवित्र संस्थानों की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इस मामले में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन वे उपलब्ध नहीं थे।
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