व्यापारियों में आक्रोश, चेम्बर गिरवी ?
जिस आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 से संबंधित अपराध पर होने वाली सजा के दुरुपयोग पर व्यापारी समाज आक्रोशित था और व्यापारियों के आंदोलन में भाजपाईयों की हिस्सेदारी भांप पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में संशोधन किया था आज उसी भाजपा के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम 1955 से संबंधित अपराध को संज्ञेय व गैर जमानती करने का सुझाव दे आए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के द्वारा पिछले 8 सितम्बर को दिल्ली में दिए इस सुझाव को लेकर व्यापारियों में जबरदस्त आक्रोश है जबकि व्यापारियों की प्रतिनिधि संस्था छत्तीसगढ चेम्बर ऑफ कामर्स में खामोशी है। अब तो इस मामले में खामोशी को लेकर चेम्बर के अस्तित्व पर भी सवाल उठने लगे हैं अब तो कई लोग इसे भाजपा के द्वारा गिरवी रखने की बात की जा रही है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने 8 सितम्बर को दिल्ली में खाद्यान्न सुरक्षा और पीडीएस पर योजना आयोग द्वारा आयोजित बैठक में कहा कि जिस वाहन से आवश्यक वस्तु का अवैध परिवहन किया जाता है उसे राजसात किया जाना चाहिए। यही नहीं इसके तहत गिरफ्तार लोगों को संज्ञेय व गैर जमानती बनाया जाए। डा. रमन सिंह उसी भाजपा के मुख्यमंत्री हैं जिसने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत गिरफ्तारी को लेकर जमकर आंदोलन किया था। सालों चले व्यापारियों के इस आंदोलन में भाजपा ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। व्यापारियों का कहना था कि इस अधिनियम की आड़ में शासकीय सेवकों के द्वारा व्यापारियों को प्रताड़ित किया जाता है और इस कानून का न केवल दुरुपयोग किया जाता है बल्कि व्यापारियों से अवैध वसूली की जाती है। व्यापारियों के इस आंदोलन में तब भाजपा ने बढचढ़कर हिस्सा लेते हुए इसे काले कानून की संज्ञा तक दे डाली थी।
इसके बाद केन्द्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्तारुढ़ हुई तब भी भाजपा ने व्यापारियों के साध कंधे से कंधा मिलाकर इस कानून को खत्म करने आंदोलन किया और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के सुझाव के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस कानून में महत्वपूर्ण संशोधन किए थे। आश्चर्य का विषय तो यह है कि जिस कानून को अटल सरकार ने खत्म किया है आज उसी के पार्टी के एक मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने पुन: उसी कानून को लागू करने का सुझाव ही नहीं दिया है बल्कि एक कदम आगे बढ़कर यह सुझाव भी दिया है कि यह संज्ञेय व गैरजमानती हो!
डा. रमन सिंह के इस सुझाव पर व्यापारियों में जबरदस्त आक्रोश है। रामसागर पारा स्थित अनाज व्यापारी जयकृष्ण अग्रवाल ने कहा कि यह तो भाजपा की वादा खिलाफी है। सत्ता में नहीं थे तब तक वे इसका विरोध करते रहे हैं और आज सत्ता पाते ही व्यापारियों का गला घोंटने तैयार है। इसी तरह की बात मुकेश, राजेश ने भी कही। व्यापारियों ने कहा कि इस मामले का जमकर विरोध किया जाएगा। वहीं कुछ व्यापारियों ने छत्तीसगढ़ चेम्बर की बैठक में इस मामले में निर्णय लेने की बात कही।
इधर चेम्बर के नेताओं से जब इस बारे में चर्चा करनी चाही तो उन्होंने इस तरह के कानून का विरोध करने की बात कहते हुए बात टाल दी कि इसके विरोध की रुपरेखा चेम्बर की बैठक में होगी। बहरहाल डा. रमन सिंह के इस सुझाव को लेकर व्यापारी समाज खासकर अनाज वालों में जबरदस्त आक्रोश है और वे चेम्बर पर इसके खिलाफ आंदोलन करने का दबाव बना सकते हैं। इस मामले में पार्टी के मंत्रियों से भी चर्चा चलने की खबर है।
... ek aandolan aur hone vaalaa hai vo bhee vyaapaariyon ke dwaaraa ... !!!
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