सोमवार, 15 मार्च 2010

सरकार में संविदा,घोटालेबाजों पर फिदा|दो दर्जन से अधिक भ्रष्ट व निकम्में अधिकारियों को संविदा नियुक्ति


यह तो भाजपा सरकार की कथनी और करनी का ही अंतर है वरना भय भूख और भ्रष्टाचार के खिलाफ नारा देने वाले भाजपाई सरकार में आते ही दो दर्जन से अधिक भ्रष्ट और निकम्में अधिकारियों को संविदा नियुक्ति नहीं देते।
छत्तीसगढ में रमन सरकार ने जिस तरह से रणनीति बनाई है उससे आने वाले दिनों में विकास कार्यों पर विपरित प्रभाव पड़ना तय है एक तरफ वोट बैंक की राजनीति के तहत बंदरबांट चल रही है तो दूसरी तरफ धन्ना सेठों और भाजपा प्रमुखों व उनके रिश्तेदारों को कौडियों के मोल सरकारी जमीन दी जा रही है। मामला इससे भी बढ़कर संविदा नियुक्ति का है। आकस्मिक नौकरी के नाम पर जिस तरह से सेवानिवृत्त या नौकरी छोड़ चुके अफसरों को सरकार ने नौकरी पर रखना शुरु किया है उससे एक तरफ छत्तीसगढ क़े होनहार युवाओं की नौकरी तो खतरें में पड़ ही गई है घोटालों की नई-नई कहानियां सामने आई है।
छत्तीसगढ में केवल सेवानिवृत्त हो चुके या ले चुके अधिकारियों कि संविदा नियुक्ति देने का मामला 5 दर्जन से अधिक है इसमें से दो दर्जन से अधिक अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा है भ्रष्ट अधिकारियों या निकम्मों को नौकरी देने की वजह आसानी से समझा जा सकता है। हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक ऐसे चोर अधिकारियों को संविदा नियुक्ति इसलिए दी जा रही है ताकि सरकार में बैठे लोग इनके भ्रष्टाचार के तरीकों का लाभ लेकर अपनी जेबें गरम कर सके। अमूमन सभी विभागों में इस तरह के लोगों का बोलबाला है और यहां भ्रष्टाचार की गंगा बहने लगी है।
छत्तीसगढ क़े विधानसभा तक में यह बात आ चुकी है कि संविदा नियुक्ति की वजह से भ्रष्टाचार में बढ़ोत्तरी हो रही है इसके बाद भी सरकार सेवानिवृत्त होने के बाद ऐसे भ्रष्ट व निकम्मों को नौकरी दे रही है। कभी लोक निर्माण विभाग के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल पर भी डंडा भांज चुके जी.एस. बाम्बरा को तीसरी बार संविदा नियुक्ति दी जा रही है तो इसकी वजह सरकार ही जाने लेकिन बाम्बरा किस तरह के अफसर है उनका सर्विस बुक देखकर ही समझा जा सकता है। इसी तरह मुख्यमंत्री के खास माने जाने वाले आईएएस अमन सिंह ने भी अपनी नौकरी छोड़कर संविदा नियुक्ति पा रहे हैं। इसी तरह कई भ्रष्ट अफसरों के रिश्तेदारों को भी मनमाने तरीके से नौकरी दी गई।सूत्रों के मुताबिक सरकार में बैठे कई मंत्री व अधिकारियों ने ऐसे अफसरों पर कार्रवाई की बजाय उनसे धन उगाही में लगे हैं और यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपए इन्ही भ्रष्ट संविदा नियुक्ति वाले अफसरों पर खर्च किया जा रहा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि इस मामले में कांग्रेस ही नहीं छात्रों के हितैषी माने जाने वाले भी संगठन भी खामोशी से तमाशा देख रहे है जबकि ऐसी नियुक्ति की वजह से छत्तीसगढ क़े युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। बहरहाल भ्रष्ट अधिकारियों को दी जा रही संविदा नियुक्ति से छत्तीसगढ में भ्रष्टाचार तो बढा ही है सरकारी खजानों से करोड़ों रुपए लूटने की कोशिशें भी जारी है।

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