0 सांप और विप से चिंतित हैं लोग
एक तरफ देश के संसद और विधानसभा में महिला बिल को लेकर महिलाओं में जबरदस्त उत्साह है वहीं दूसरी ओर राजधानी सहित प्रदेश के स्थानीय निकायों में पाप ने डेरा जमा रखा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि जहां महापौर और अध्यक्ष के पदों पर महिलाएं बैठी है वहां भी पाप की ही दमदारी दिखती है। यही वजह है कि लोग सांप और विप को लेकर अभी से चिंता जताने लगे हैं।
छत्तीसगढ क़े स्थानीय निकायों में वैसे तो 50 फीसदी महिला आरक्षण है और इस क्षेत्र में कई महिलाओं ने अपनी दमदारी भी दिखाई है लेकिन राजधानी का नगर निगम पाप से ग्रसित है नेतागिरी की चाह में अपने परिवार की महिलाओं को टिकिट तो दिलवा देते हैं लेकिन पूरी नेतागिरी वे स्वयं करते हैं। यहां तक कि निगम की कई महत्वपूर्ण बैठकों में भी वे इसी हैसियत से हिस्सा भी लेते हैं।
बताया जाता है कि इन पाप को लेकर निगम में कई तरह की चर्चा रहती है और सबसे दुखद आश्चर्य का विषय तो यह है कि महिला बिल पर खुशी जाहिर करने वाली महापौर किरणमयी नायक भी ऐसे लोगों को ही महत्व देती है। यही हाल पूरे प्रदेश में है और ऐसे पाप से बचने के लिए अभी तक किसी भी महापौर या अध्यक्ष ने प्रभावी कदम नहीं उठाया है जबकि अधिकांश संस्थानों में इस बिल का समर्थन करने वाल भाजपा या कांग्रेस के लोग ही बैठे हैं। यही वजह है कि अब बिल के पास होने में किसी को संदेह नहीं है और वे अभी से सांप और विप की चर्चा करने लगे हैं। कहा जाता है कि इस मामले को लेकर वैसे तो कई तरह की चर्चा है लेकिन ऐसी चर्चा महिला जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ इस महत्वपूर्ण बिल के लिए भी चुनौती है कि आखिर सांप (सांसद पति), विप (विधायक पति) और पाप (पार्षद पति) से कैसे बचा जाएगा।
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