शनिवार, 7 अगस्त 2010

मंत्री की लाचारी या आईएएस की दमदारी?

डीएस मिश्रा ने कार नहीं लौटाई
बीज निगम को नया खरीदना पड़ा


विवादों में रहने की कोशिश में लगे प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू की यह लाचारी है या कोई नया चाल यह तो वहीं जाने लेकिन ईमानदारी का लबादा ओढ़ने वाले आईएएस अधिकारी डीएस मिश्रा ने 'करोरा' आखिरकार बीज निगम को नहीं लौटाई और राय शासन द्वारा नियुक्त बीज निगम के अध्यक्ष श्याम बैस के लिए निगम को नया एम्बेसेडर कार खरीदना ही पड़ा।
कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू के अधीनस्थ विभागों में क्या कुछ चल रहा है यह अब आम चर्चा में शामिल हो गया है। बीज निगम में उनके अध्यक्षीय कार्यकाल की चर्चा अभी थमी ही नहीं है कि मछली पालन विभाग में शुक्ला-त्रिपाठी की जोड़ी को नियम विरुध्द पदोन्नति की कोशिश हो रही है। इधर आईएएस अधिकारी डी.एस. मिश्रा द्वारा बीज निगम की महंगी कार उपयोग किए जाने पर भी चंद्रशेखर साहू की चुप्पी आश्चर्यजनक है। कहा जाता है कि बीज निगम का प्रभार जब डीएस मिश्रा ने जब संभाला तो निगम ने उनके लिए एम्बेसेडर की बजाय 18 लाख की करोरा कार दी थी। मिश्रा इसी कार में आते जाते थे और जब वे बीज निगम का प्रभार छोड़े तो कार भी अपने साथ ले गए और तभी से इसका वे उपयोग कर रहे हैं।
इधर राय शासन ने जब श्याम बैस को बीज निगम का अध्यक्ष बनाया तो निगम अधिकारियों ने डीएस मिश्रा से कार मांगा तो वे यही कहते रहे कि लौटा देंगे। इधर बगैर कार के नवनियुक्त अध्यक्ष श्याम बैस के संभावित गुस्से से डरकर निगम ने मिश्राजी से कई बार कार मंगवाई लेकिन जब वे कार नहीं लौटाये तो निगम ने नया एम्बेसेडर खरीदने का मन बना लिया और नए अध्यक्ष के लिए नया कार खरीदा गया।
बताया जाता है कि मिश्रा के इस कारनामें की शिकायत कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू से भी कई गई लेकिन इन शिकायतों का क्या हुआ पता नहीं चला है। इसी तरह यहां बाहर की पार्टी को 20 करोड़ का बीज सप्लाई का मामला भी चर्चा में है। बहरहाल प्रदेश में आईएएस अधिकारियों की दादागिरी किस कदर चल रही है और जनता के नुमाइंदे बने नेता किस तरह अपनी जुबान बंद रखे हैं इसे लेकर तरह-तरह की चर्चा है।

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