छत्तीसगढ़ की पुलिस क्या नहीं करती, इस सवाल का जवाब देने में भले ही पुलिस के उ'चाधिकारियों को समय लग सकता है लेकिन किसी भी आम आदमी के लिए इसका जवाब देना आसान है। अवैध दारु-गांजा बेचने वालों या सटोरियों से वसूली तो कई राÓयों में होती होगी। लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस में पदस्थ सिपाही से लेकर ए एस आई भी गांजा तस्करी करते हैं। यह बात कोई विश्वास भले ही न करे लेकिन यह सच है। इस खेल में लगे पुलिस कर्मियों के खिलाफ़ भले ही छत्तीसगढ़ पुलिस कार्यवाई करने से हिचक रही हो लेकिन मध्यप्रदेश की पुलिस ने छत्तीसगढ़ पुलिस के एक ए एस आई अखिल पाण्डेय को गिरफ़्तार किया है। गौरेला के एस डी ओपी कार्यलय में संलग्न अखिल पाण्डेय के खिलाफ़ कार्यवाई मध्यप्रदेश की शहडोल जिले की पुलिस ने की है। गिरफ़्तारी के दौरान अखिल पाण्डेय ने भागने की कोशिश भी की थी।
ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ पुलिस में पदस्थ कर्मियों की यह पहली करतूत है। इससे पहले भी कई तरह की करतूतों की वजह से छग पुलिस शर्मशार हुई है और छग पुलिस की करतूतों की वजह से गृहमंत्री ननकी राम कंवर को विधान सभा में यह कहना पड़ा था कि थानेदार आम आदमियों से Óयादा शराब ठेकेदारों की सुनते हैं और दस-दस हजार रुपए में थाने बिके हुए हैं। अपराधियों से सांठ-गांठ के लिए चर्चित कई पुलिस वाले तो सेवानिवृत्ति के बाद भी संविदा में नियुक्ति पाने में सफ़ल हो गए हैं। इसमें एक दलाल किस्म के अधिकारी की संविदा पर तो सरकार तक कटघरे में है।
पेशी के दौरान अपराधियों के साथ मौज मस्ती करना तो आम बात हो गई है जबकि अपराधियों को भागने तक का मौका देने में छत्तीसगढ़ पुलिस कम बदनाम नहीं है। मन्नु नत्थानी हो या राजेश शर्मा, तापडिय़ा हो या कोई और अपराधी पुलिस वालों के इशारे पर ही फऱार है। बिलासपुर एस पी राहुल शर्मा कि मौत के मामले को सीबीआई को सौंपना पड़ा है। कहा जाता है कि लोहा और कोयला चोरों के खिलाफ़ कड़ी कार्यवाई करने वजह से उन पर बेहद दबाव बना था जबकि राजधानी में बद्री जैसे मिलावट खोरों पर हाथ डालने की वजह से शशिमोहन जैसे सीएसपी की हालत क्या हुई यह किसी से छिपा नहीं है।
अपराधियों को संरक्षण के अलावा अपराध कि विवेचना और गलत-सलत रपट लिखने के मामले में भी छत्तीसगढ़ पुलिस का जवाब नहीं है। तभी तो डीजीपी को हाईकोर्ट जाकर लिखित में आश्वासन देना पड़ा।
आखिर छत्तीसगढ़ की पुलिस की बढ़ती लापरवाही और अपराधियों से सांठ-गांठ का असर क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन शहडोल पुलिस की कार्यवाई से यह स्पष्ट हो गया कि पुलिस सिफऱ् गांजा तस्करों से वसूली का ही काम नहीं करती बल्कि तस्करी में भी शामिल है। आखिर उड़ीसा से बड़े पैमाने पर खपाए जा रहे गांजे की खपत किसी से छिपी नहीं है।
चलते-चलते
छत्तीसगढ़ पुलिस के उ'चाधिकारियों की अनदेखी की वजह से करीब डेढ़ सौ थानेदार यानी वरिष्ठ इंस्पेक्टर बगैर पदोन्नति के रिटायर्ड हो जाएगें। इस पर पहली प्रतिक्रिया अ'छा हुआ कहें तो सजा के हकदार थे और दूसरी प्रतिक्रिया "बाम्बरा जैसे लोग रहेगें तो ऐसा ही होगा।
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