सोमवार, 10 मई 2010

औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों ने डकारे 50 लाख

धांधली करने वालों ने भोज का आयोजन कर खुशियां मनाई
यह छत्तीसगढ क़ी लापरवाही है या अधिकारियों द्वारा सरकारी खजाने को लूटने की कोशिश यह तो वही जाने लेकिन औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों ने धांधली कर छत्तीसगढ़ शासन को 50 लाख का चूना लगाने में कामयाब हो गए। अब कार्रवाई की बजाय इनसे वसूली के तरीके निकाले जा रहे हैं। इधर इस धांधली करने वालों ने बकायदा भोज का आयोजन कर खुशियां भी मनाई।
औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों के इस खेल में कौन-कौन लोग शामिल है यह कहना कठिन है लेकिन अधिकारियों ने जिस पैमाने पर शासन को धोखे में रखकर धांधली की वह आश्चर्यजनक है। यह सारा खेल समयमान वेतनमान के निर्धारण को लेकर किया गया और अब जब मामला सामने आया है तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बजाय इस पर लीपापोती चल रही है। वेतनमान को लेकर प्रदेश के इस चर्चित घोटाले को लेकर मंत्रालय में पदस्थ अधिकारी भी सन्न है और वसूली किए जाने की सिर्फ बात ही की जा रही है।
शासन के आदेशानुसार समयमान वेतनमान का लाभ उन अधिकारी एवं कर्मचारियों को दिया जाना है जो सीधी भर्ती के पदों पर 8 एवं 10 वर्षों की सेवा अवधि पूर्ण किए गए हैं। ताहे वह एक दो या दो से अधिक पदोन्नति उपरांत सीधी भर्ती के पद पर कार्य करते हुए उक्त अवधि पूर्ण किया हो तथा भर्ती नियम के अनुसार सीधी भर्ती पद के लिए निर्धारित योग्यता रखता हो। विभिन्न वेतनमानों के लिए उच्चतर वेतनमानों की पात्रता के लिए निगम में प्रचलित वेतनमान का उल्लेख इस योजना में नहीं है। उसके संबंध में वित्त विभाग को अवगत कराया जाना था।
सीएसआईडीसी के सेवा भर्ती नियम के अनुसार सीधी भर्ती के पद इस प्रकार हैं:- निम्नश्रेणी लिपिक, टेलीफोन आपरेटर, लेखालिपिक, सह टायपिस्ट, सहायक प्रबंधक, शीघ्र लेखक, अनूरेखकर, जूनियर इंजीनियर, समयपाल सीधी भर्ती के पद हैं। किन्तु सीएसआईडीसी में इन सीधी भर्ती के पदों के अतिरिक्त ऐसे अधिकारी एवं कर्मचारी को समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है, जो 100 प्रतिशत पदोन्नति के पद पर कार्यरत है। जिसकी संख्या लगभग 150 है जिसमें कनिष्ठ सहायक, वरिष्ठ सहायक, लेखा सहायक, सहायक प्रबंधक लेखा, उप प्रबंधक, प्रबंधक, शीघ्र लेखक, मानचित्रकार, सहायक इंजीनियर, इंजीनियर इलेक्ट्रीशियन है।
इस योजना के अंतर्गत उक्त अपात्र अधिकारी कर्मचारियों को वित्ती लाभ का भुगतान (एरियर्स) किया गया है जिसका कुल राशि लगभग 50 लाख से अधिक का होता है। अधिक वित्तीय लाभ का मुख्य कारण वेतन विसंगति है जो इस प्रकार है- वेतनमान रु. 5000-9000 वाले को सीधा रु. 8000-13500 का वेतनमान दिया गया है, जबकि बीच में 6500-10500 का भी वेतनमान है। इस योजना का लाभ सेवा में नियुक्ति के पश्चात 8 वर्ष एवं 10 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होने पर दिया जाना था, किन्तु सीएसआईडीसी में 8 वर्ष में प्रथम एवं 16 वर्ष में दि्तीय उच्चतर वेतनमान का लाभ अलग-अलग कर्मचारी को दिया गया है जिसके कारण निगम के निम्न वर्ग के कर्मचारियों द्वारा प्रबंध संचालक से शिकायत भी किया गया है उसके बाद भी प्रबंधन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जा रहा है। सीएसआईडीसी के अधिकारी के विरुध्द विभागीय जांच रहते हुए इस योजना का लाभ दिया गया है। सीएसआईडीसी में विलय निर्यात निगम के कर्मचारियों को उनके पैतृक विभाग द्वारा विलय के बाद वेतन विसंगति को संशोधन किया गया है, लेकिन सीएसआईडीसी में उन संशोधन वेतनमान को छोड़कर विसंगत वेतनमान पर समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है।
समयमान वेतनमान लागू करने कमेटी गठित की गई थी जिसमें उद्योग संचालनालय के वरिष्ठ अधिकारी पी.के. शुक्ला, महाप्रबंधक ने जानबूझकर गलती की है। इसका प्रमाण वे स्वयं है। संचालनालय (शासन) भर्ती नियम के अनुसार महाप्रबंधक के पद को पदोन्नति का पद होने के कारण पी.के. शुक्ला महाप्रबंधक को समयमान वेतनमान का लाभ संचालनालय द्वारा नहीं दिया गया है, वहीं अधिकारी सी.एस.आई.डी.सी. में 100 प्रतिशत पदोन्नति के पद पर कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी को समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है। इसी प्रकार नियमितिकरण में भी शासन के नियमों का खुलकर धाियां उड़ कर एक महिला को लिपिक एवं एक शीघ्र लेखक को नियम विरुध्द नियमित किया गया है। उपरोक्त सारे नियम विरुध्द कार्य के लिए सीएसआईडीसी अधिकारी एवं कर्मचारी संघ द्वारा प्रबंध संचालक राजेश गोवर्धन को प्रशस्ति पत्र एवं साथ ही निगम के करीब 100 से अधिक कर्मचारी को भोज भी दिया गया था। जिसमें करीब 50 हजार का खर्च आया था जिसका भुगतान किसके द्वारा किया गया है इसका भी किसी को पता नहीं है।

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