सोमवार, 10 मई 2010

चोर हो चाहे हत्यारा , आदमी है हमारा !

छत्तीसगढ़ में सफेदपोश अपराधियों को किस तरह से सरकार और उसके मंत्री संरक्षण दे रहे हैं यह बताने की जरूरत नहीं है। आरोप सिध्द न हो जाए तब तक अपराधी नहीं के जुमले ने सिध्दांतवादी राजनीति के पर कतर दिए हैं। राय बनने के बाद तो छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार खूब बढ़ा है। नेताओं को लेकर अधिकारियों में सरकारी खजाने को लूटने की प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है। जोगी शासन काल में निगम मंडल का गठन शायद यही सोचकर नहीं किया गया था कि भ्रष्टाचार बढ़ेगा। भाजपा सरकार सत्ता में आते ही ऐसे लोगों को लालबत्ती थमा दी जिनकी औकात भी नहीं थी और जिसका उदाहरण है निगम मंडलों की आड़ में सरकारी खजाने की जमकर लूट खसोट हुई। बताया जाता है कि निगम मंडल के अध्यक्षों ने डॉ. रमन सिंह के पिछले कार्यकाल में पैसा कमाने का कोई मौका नहीं छोड़ा और कमाई को देखते हुए एक बार फिर निगम मंडल अध्यक्ष बनने होड़ मची है। सफेदपोश अपराधियों की मंडली इस कार्य में जुट गई है। एक तरफ सरकार के पास बड़ी योजनाओं के लिए पैसे का अभाव है और दूसरी तरफ निगम मंडल में अध्यक्षों की नियुक्ति कर सरकारी खजाने में बोझ डालने की कोशिश हो रही है।
भूमाफिया से लेकर शराब माफियाओं का दबदबा तो सरकार पर स्पष्ट दिखता है ऐसे में सफेदपोश अपराधियों की मंडली यदि निगम मंडल में अध्यक्षों की नियुक्ति में सफल हो जाती है तो छत्तीसगढ़ की राजधानी एक बार फिर माफियाओं के चंगुल में होगा। इस सरकार ने तो शायद फैसला ही कर लिया है कि यदि हमारी पार्टी या हमारे लोग गलत हैं तो भी हमारे हैं और उन्हें मलाईदार पदों पर बिठाया ही जाएगा। पुलिस विभाग में ही जिन्हें संविदा नियुक्ति दी गई है क्या उनके विवादास्पद चरित्र किसी से छीपे हैं। इसी तरह अन्य विभाग में रिटायर्ड या किस तरह के लोगों को संविदा नियुक्ति दी गई है किसी से छीपा नहीं है। महाधिवक्ता के पद पर नियुक्त देवराज सुराना और उनके परिवार के विवादास्पद कार्य क्या किसी से छिपे हैं। इसी तरह से निगम मंडल में पिछली बार जिन्हें नियुक्त किया गया था उनके घपले सबके सामने हैं।
भाजपा के बड़े नेता जब विपक्ष में थे तब सिध्दांतों की राजनीति का कितना वकालत करते थे किसी से छिपा नहीं है। सत्ता में आते ही उनकी भूमिका क्या हो गई यह भी किसी से छिपा नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस तरह से सरकारी खजानों पर डाका डाला जा रहा है ऐसा कहीं देखने को नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री का विभाग ऊर्जा, खनिज और जनसंपर्क में जब खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा हो तब बृजमोहन अग्रवाल के विभागों से ईमानदारी की उम्मीद बेमानी है। इतनी अंधेरगर्दी के बाद भी सरकारें चलती है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि लोग खुश है। सरकारें तो 20-30 प्रतिशत लोगों का वोट पाकर बन जाती है।

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