मंगलवार, 11 मई 2010

मंदिर-आदिवासियों की जमीन हड़पने में सरकार की चुप्पी!

घोटालेबाजों का जमाना महाधिवक्ता है सुराना - 8
सुराना परिवार द्वारा श्री हनुमान मंदिर की जमीन और आदिवासियों की जमीन हड़पने के मामले में सरकार की चुप्पी आश्चर्यजनक है और कहा जा रहा है उच्च राजनैतिक पहुंच के चलते ही इस मामले पर कार्रवाई नहीं की जा रही है जबकि प्रथम दृष्टया ही अपराध बनता है।
छत्तीसगढ़ को लुटने की साजिश में वैसे तो कई नेता अधिकारी और मंत्री तक शामिल है लेकिन महाधिवक्ता जैसे पद पर बैठने वाले देवराज सुराना और उसके परिवार पर जिस तरह से आरोप लगे हैं उसके बाद तो इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है लेकिन आश्चर्य का विषय तो यह है कि जांच की बात तो दूर उन्हें महाधिवक्ता बना दिया गया। ऐसे में सरकार के रवैये का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
इधर गोपियापारा में जब श्री हनुमान मंदिर की जमीन के बिक्री को लेकर बात की गई तो लोगों में आक्रोश साफ झलक रहा था। मंदिरों की जमीन बचाने में लगे श्री ठाकुर ने कहा कि सरकार कानून तो बना देती है लेकिन कार्रवाई नहीं करती अभी भी साजिशपूर्वक मंदिरों की जमीनें बेची जा रही है। नागरिकदास मठ की जमीन तो साजिशपूर्वक एक संस्था को ही दी जा रही है जिसका हम विरोध करते हैं। वहीं अजय अग्रवाल ने कहा कि महाधिवक्ता पद एक गरिमामय पद हैं और ऐसे जगह पर विवादास्पद व्यक्तियों को बिठाया जाना ठीक नहीं है जबकि सरकार को चाहिए कि वे ऐसे विवादास्पद व्यक्तियों से इस्तीफा ले ले।इसी तरह आदिवासी की जमीन हड़पने के मामले में भी शासन प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है और इस मामले में भी लीपापोती का केल जमकर खेला गया। बहरहाल महाधिवक्ता देवराज सुराना के विवादास्पद मामले की शहर में कई तरह की चर्चा है और कहा जा रहा है जमीन व्यवसाय से जुड़े सुराना परिवार के कई और मामले सामने आएंगे।

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