गुरुवार, 14 अगस्त 2025

बदल गया EVM का परिणाम सुप्रीम कोर्ट में हारा हुआ जीता

 बदल गया EVM का परिणाम, सुप्रीम कोर्ट में हारा हुआ जीता 


लगता है कि मोदी सत्ता और चुनाव आयोग के बुरे दिन शुरू हो गये है, उधर हरियाणा में ईवीएम से हारा व्यक्ति पुनर्गणना में जीत गया तो अनुराग ठाकुर ने होशियारी दिखाकर आयोग और पार्टी को ही मुसीबत में खड़ा कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट का ६५ लाख वॉटरो को दिया फ़ैसला भी चुनाव आयोग के लिये मुसीबत बढ़ाने वाला है तो २०२४ का चुनाव शून्य घोषित करने की आवाज़ देश भर में गूंजने लगी है…

हरियाणा में ईवीएम का परिणाम सुप्रीम कोर्ट में कैसे बदला उससे पहले बता देते है कि मूर्ख मित्र से विद्वान शत्रु बेहतर, अनुराग ठाकुर की प्रेस कॉन्फ्रेंस से मोदी सरकार बुरी तरह फँस गई है 

प्राचीन कहावतें अक्सर वर्तमान घटनाओं को आईना दिखाती हैं। "मूर्ख मित्र से विद्वान शत्रु बेहतर" यह उक्ति अनुराग ठाकुर पर बिल्कुल सटीक लागू होती है, सांसद अनुराग "गोलीमारो" ठाकुर ने विपक्ष को घेरने की कोशिश में अपनी ही सरकार और चुनाव आयोग को फंसा दिया। 13 अगस्त 2025 को दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ठाकुर ने छह लोकसभा सीटों—रायबरेली, वायनाड, कन्नौज, डायमंड हार्बर, अमेठी और एक अन्य—पर फर्जी वोटरों की मौजूदगी का आरोप लगाया, जिसमें लाखों संदिग्ध मतदाता, डुप्लिकेट एंट्रीज, फर्जी पते और आयु में हेरफेर के आंकड़े पेश किए। उनका इरादा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों का जवाब देना था, जहां गांधी ने भाजपा और चुनाव आयोग पर फर्जी वोटों से चुनाव प्रभावित करने का इल्जाम लगाया था।

ठाकुर की यह रणनीति विपक्ष को निशाना बनाने की थी, खासकर राहुल गांधी की वायनाड और रायबरेली सीटों पर, जहां उन्होंने दावा किया कि फर्जी वोटरों ने चुनाव परिणाम प्रभावित किए, लेकिन यह कदम उल्टा पड़ गया। कांग्रेस ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा कि अगर सत्ताधारी पार्टी के सांसद खुद मतदाता सूचियों में फर्जीवाड़ा स्वीकार कर रहे हैं, तो केंचुआ पूरी तरह से इसके लिए जिम्मेदार है क्योंकि वोटर लिस्ट तो उसी ने तैयार की, विपक्ष ने मांग कर दी कि पूरा 2024 लोकसभा चुनाव अमान्य घोषित किया जाए, क्योंकि यह फर्जी वोटर लिस्ट पर आधारित था, यह तो  राहुल के आरोपों की पुष्टि करता है, अब यह भी पूछा जा रहा है कि भाजपा को वोटर काकंप्यूटर रीडेबल डेटा कैसे मिला जबकि विपक्ष को नहीं। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी की वाराणसी सीट पर भी सवाल उठने से शुरू हो गए हैं, आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा-चुनाव आयोग की मिलीभगत से फर्जी लिस्ट तैयार हुई। 

गोली मारो ठाकुर का इरादा विपक्ष को कमजोर करना था, लेकिन उनके आंकड़ों ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता को कटघरे में खड़ा कर दिया।  आयोग ने राहुल गांधी को नोटिस जारी किया था, लेकिन ठाकुर को नहीं, जो स्पष्ट पक्षपात का संकेत देता है। परिणामस्वरूप, सरकार फंस गई—एक ओर विपक्ष नए चुनाव की मांग कर रहा है, दूसरी ओर भाजपा को अपनी ही बातों का बचाव करना पड़ रहा है।

अभी बीजेपी बचाव भी नहीं कर पाई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने चूना आयोग से साफ कहा है कि बिहार की वोटर लिस्ट से काटे गए 65 लाख लोगों के नाम

1. जिलावार

2. श्रेणीवार

3. EPIC नंबर के साथ 

वेबसाइट पर दिखाना होगा। 

साथ में एक सर्च बॉक्स भी देना होगा, ताकि लोग EPIC नंबर के आधार पर अपने नाम को सर्च कर सके।

चूना आयोग वेबसाइट में हर नाम के साथ वह कारण भी बताएगा, जिसकी वजह से नाम काटे गए। 

चूना आयोग को अब यह भी प्रचारित करना होगा कि आधार कार्ड को मान्य दस्तावेज माना जाएगा।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले से इतर एक और फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट में हुआ जो ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठते सवाल की पुष्टि ही नहीं करता बल्कि साबित करता है कि ईवीएम से परिणाम बदला जा सकता है 

मामला था हरियाणा के पानीपत जिले के गोहाना लाखु गांव की पंचायत के परिणाम का जिसमें किसी कुलदीप सिंह को मशीनों से वोट की गिनती के बाद विजेता घोषित कर दिया गया था! 

उसके निकटतम प्रतिद्वंदी मोहित कुमार को नवंबर 22 के पंचायत चुनाव में मशीनों पर कुछ शक हुआ कि उससे परिणाम प्रभावित हुआ है!

वह पानीपत के सेशन कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका लगाकर न्याय की मांग लेकर गया विद्वान कोर्ट ने फैसला दिया की सब मशीनों की दोबारा से पुनर्गणना की जाए, और उसके बाद परिणाम घोषित किया जाए! 

लेकिन जीते हुए उम्मीदवार कुलदीप सिंह को यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं था उसने हरियाणा पंजाब हाई कोर्ट में अपनी याचिका दायर की और वहां से फैसला दिया गया के परिणाम पूर्व वत रखा जाए , और सेशन कोर्ट के फैसले को कैंसिल कर दिया! 

लेकिन निकटतम प्रतिद्वंद्वी अपने आप में बहुत आश्वस्त था वह मामला सुप्रीम कोर्ट में ले गया वहां तीन जजों की पीठ श्री सूर्यकांत जी श्री दीपंकर दत्ता जी और श्री एन कोटेश्वर सिंह जी की पीठ ने फैसला दिया , और सारी ईवीएम मशीन कोर्ट में तलब की गई, सारी मशीनों को सुप्रीम कोर्ट में मंगाया गया और फिर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दियाकी अब इसकी पुनर्गणना रजिस्ट्रार कावेरी की निगरानी में होगी और उसकी पूरी तरह वीडियो ग्राफी की जाएगी! 

उसके बाद सभी उम्मीदवारों के प्रतिनिधि वहां बुलाए गए और पुनर गणना  संपन्न कीगई!

आश्चर्य की बात थी तो परिणाम बदल गया निकटतम उम्मीदवार मिलाप को 3767 वोटो की गिनती जो पांच मशीनों के अंदर की गई थी उसमें उसे 1051 वोट प्राप्त हुए और जिस उम्मीदवार को विजयी घोषित किया गया था कुलदीप सिंह उसे सिर्फ 1000 वोट मिले! 27 वोट से हारा हुआ बुधवार 51 वोटो से जीत गया!

सुप्रीम कोर्ट ने नए परिणाम को असली परिणाम बता कर मिलन कुमार को सरपंची दिलवा दी !

 अब विश्लेषकों का सवाल यही है कि यदि चुनाव अधिकारी ने गिनती सही की थी तो फिर परिणाम कैसे बदल गए? 

और अगर यह परिणाम बदल सकते हैं तो फिर ईवीएम हैकिंग से लेकर evm करप्ट होने की बात जो पब्लिक डोमेन में है उसमें कुछ तो सच्चाई है! 

या यह सारी कारास्तानी चुनाव अधिकारियों की थी जो शासन के इशारों पर काम कर कर जनादेश के अपहरण की कोशिश कर रहे थे !

कारण कुछ भी हो लेकिन पहली बार सबूत के साथ सुप्रीम कोर्ट के पटल पर evm संदेह के घेरे में है और ट्रस्ट डिफिसिट से जूझ रही भारतीय चुनाव व्यवस्था पर और चुनाव आयोग पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गया है कि आखिर वह खेल तो करती ।(साभार)