गुरुवार, 7 अगस्त 2025

राहुल ने चुनाव आयोग ही नहीं सौ साल के संघी संस्कार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया…

 राहुल ने चुनाव आयोग ही नहीं सौ साल के संघी संस्कार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया…


राहुल गांधी जब आज चुनाव आयोग की करतूतों का सबूत पेश कर रहे थे तो पूरी दुनिया की मीडिया मौजूद थी, और यह सबूत ने सीधे तौर पर भले ही चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा किया हो लेकिन इस खेल में संघ की भूमिका से इंकार इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि बीजेपी उसी की अनुवांशिक है और बीजेपी को सत्ता तक पहुँचाने में वह भी पूरी तरह शामिल रहती है, यानी सौ साल के संस्कार से ओत प्रोत बीजेपी यदि वोट चोरी का षड्यंत्र कर रही है तो क्या संघ का संस्कार है। तब इन सवालों का जवाब ही नहीं अब तो आयोग की बर्ख़ास्तगी और सुप्रीम कोर्ट को भी संज्ञान में इसे लेना चाहिए…

मोदी सरकार अवैध रूप से भारत पर शासन कर रही है। यह बात राहुल गांधी के प्रेजेंटेशन से, तमाम आंकड़ों और सबूतों के साथ साबित हो गई है। 



यह भी साबित हो गया कि पार्टी सँगठन, जमीनी काम, आरएसएस की पकड़, योजनाओं के लाभार्थी और मोदी का चुम्बकीय व्यक्तित्व वगैरह सब बेकार की बकवास है। 

असल मे चुनाव चोरी आयोग ने पूरे इलेक्टोरल सिस्टम को तोड़ मरोड़कर भाजपा के पक्ष में परिमाण निकालकर ताजपोशी करवा दी है।

और भांडा फूट जाने के डर से वोटर लिस्ट, सीसीटीवी फुटेज, फॉर्म 6, फार्म 17 का मिलान वगैरह करने से वह बुरी तरह भयभीत है। 

चुनाव चोरी आयोग, भाजपा के बजरंग दल, एबीवीपी, भाजयुमो की तरह भाजपा के एक फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन में बदल चुका है। 

वह भारत के सम्विधान नही , भारतीय जनता पार्टी के प्रति वफादार है। इसमे शकों शुबहे की कोई गुंजाइश अब बची नही है। 

इन खुलासों के बाद, वोट चोरी से बनी सरकार भी इलेजितमेंट और अवैध हो जाती है। इसके निर्णय और नीतियां आदेश भी अवैध हैं। 

लेकिन आज राहुल गांधी ने इस तथ्य को कहने से खुद को रोका, और केवल चुनाव आयोग तक सीमित रहे। मगर यह साफ है कि एक लम्बी लड़ाई और सीधे टकराव की ओर देश बढ़ रहा है। 

इलेक्टेड गवर्मेंट होने के नाते, असहमति के बावजूद भाजपा की इस सरकार पर हम जैसो का जो भी इकबाल था, खत्म हो गया। 

अच्छा होगा, कि सिस्टम हैक कर धोखे से खुद को विजयी कराने वाली, अवैध सरकार खुद ही इस्तीफा देकर फ्रेश इलेक्शन करए। एक मिनट भी इन्हें सत्ता में रहने का अधिकार नही है।

क्योंकि…

▪️वोटर लिस्ट बनाना किसका काम है? : चुनाव आयोग

▪️डुप्लीकेट वोटर ना हों, किसका काम है? : चुनाव आयोग

▪️फर्जी पते पर बड़ी संख्या में वोटर लिस्ट ना हों, किसका काम है? : चुनाव आयोग

▪️कोई भी वोटर एक से ज़्यादा जगह वोट ना डालें, किसका काम है? : चुनाव आयोग

🔹यह सारी बातें बता कौन रहा है? : राहुल गांधी

🔹इन दस्तावेजों की जांच किसने की? : राहुल गांधी 

🔹देश के सामने सबूत के साथ सच कौन ला रहा है? : राहुल गांधी 

जो काम कायदे से चुनाव आयोग को करना चाहिए, वो राहुल गांधी कर रहे हैं - जिससे इस देश का लोकतंत्र सलामत रहे 


और चुनाव आयोग उल्टे उनसे शपथपत्र की मांग कर रहा है

ग़ज़ब धृष्टता है - जो व्यक्ति आपको सच का आईना सबूत के साथ दिखा रहा है - उसपर BJP और चुनाव आयोग हमलावर हैं! 

यही इनकी मिलीभगत का सबसे बड़ा सबूत है


चुनाव आयोग को भंग करो और बीजेपी को सत्ता से बेदखल करो!

देश में फिर से चुनाव करवाओ

प्रोफेसर जगदीप छोकर जो एसोसिएसन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म ( ADR) संस्था के संस्थापक हैं, भारत में चुनाव सम्बन्धी अनेकों रिफॉर्म का श्रेय इसी संस्था को जाता है, सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल कर भारत के नागरिकों की लोकतांत्रिक अधिकारों को प्रोटेक्ट एवं पारदर्शी बनाया है।


जैसे हर उम्मीदवार द्वारा अपनी इनकम, क्रिमिनल मुकदमों, जैसे तमाम डिटेल्स बताना एवं अभी हाल में चुनावी बॉन्ड को अवैध घोषित कराना आदि शामिल है ।


कल इसी ADR के पिटीशन पर ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार में 65 लाख काटे गए वोटरों की डिटेल 9 तारीख तक उपलब्ध कराने को निर्देशित किया है ।


प्रोफेसर जगदीप छोकर ने आज राहुल गांधी के चुनाव सम्बन्धी प्रेस कॉन्फ्रेंस के सम्बन्ध में कहा कि, चुनाव आयोग को राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप की जांच करनी चाहिए ना कि उनसे हलफनामा मांगना चाहिए, इससे तो चुनाव आयोग का जिम्मेदारी से भागना एवं चोरी में मिली भगत ही साबित होगा।


उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में पहले फेज के लिए हुए वोटिंग के बाद आंकड़े जारी करने में चुनाव आयोग को 11 दिन क्यों लगे ?  वो भी सिर्फ प्रतिशत बताया गया, हालांकि सुप्रीम कोर्ट में ADR ने चुनाव आयोग से मत संख्या की मांग की जिसे आज तक नहीं बताया गया।


महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में शाम पांच बजे से ग्यारह बजे तक 75 लाख वोट अचानक कैसे बढ़ गए?


उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा जब चुनाव आयोग से विडीओ फुटेज मांगा गया था, उसके बाद केंद्र सरकार ने संसद द्वारा नया कानून पारित करवा दिया कि विडीओ फुटेज चुनाव उपरांत सिर्फ 45 दिन तक ही सुरक्षित रखा जाएगा, आखिर क्यों...? 


और अब लास्ट बात, चुनाव आयुक्त सलेक्शन कमिटी से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को क्यों हटा दिया गया? आखि़र किस पवित्र उद्देश्य के लिए वो बाधा बन रहे थे?


अत: निसंदेह, चुनाव के ऐसे मैनिपुलेशन से आमजनता में जन विद्रोह की चेतना पैदा हो सकती है। किन्तु संयम रखें एवं अपने अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों के तहत सत्य के साथ खड़ा हों।(साभार)