अगस्त क्रांति…
सारे सबूतों के बाद भी यदि चुनाव आयोग और मोदी सत्ता अभी भी राहुल गांधी को बदनाम करने में लगे हो तो यक़ीन मानिए कि आने वाले दिनों में यह जन आंदोलन का ऐसा रूप लेगा जिसकी कल्पना न तो आरएसएस को है न ही बीजेपी को, यह दावा इसलिए है क्योंकि जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की थी तो अंग्रेज़ी हुकूमत भी तब उसे हल्के में लिया था , महात्मा गांधी ने क्या कहा था और अब राहुल क्या करने वाले है…
''करो या मरो..'' : '' अगस्त क्रांति'' के 83 साल
8 अगस्त 1942. स्थान: बम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान ( अब अगस्त क्रांति मैदान). आज सुबह से ही अखिल भारतीय कांग्रेस समिति अपने 57 वर्ष के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव '' भारत छोड़ो'' ( क्विट इंडिया) पर विचार विमर्श कर रही है. रात काफी गहरा गयी है, पर मैदान में मौजूद करीब 80000 से 100000 लोग मंत्रमुग्ध होकर अपने प्रिय नेता महात्मा गाँधी के भाषण को सुन रही है. उनके भाषण से पहले ''भारत छोड़ो'' प्रस्ताव में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ''भारत छोड़ो'' ( क्विट इंडिया) प्रस्ताव कर चुकी है. महात्मा गाँधी ने अपना भाषण हिन्दुस्तानी में देने के बाद अब वहां विदेशी पत्रकारों और प्रतिनिधियों के लिए अंग्रेजी में दे रहे हैं. वे कह रहे हैं :- ''There are representatives of the foreign press assembled here today. Through them I wish to say to the world that the United Powers who somehow or other say that they have need for India, have the opportunity now to declare India free and prove their bona fides. If they miss it, they will be missing the opportunity of their lifetime, and history will record that they did not discharge their obligations to India in time, and lost the battle.......Where shall I go, and where shall I take the forty crores of India? How is this vast mass of humanity to be aglow in the cause of world deliverance, unless and until it has touched and felt freedom. Today they have no touch of life left. It has been crushed out of them. It lustre is to be put into their eyes, freedom has to come not tomorrow, but today.''
और भाषण की समाप्ति वे अपने लॉर्ड टेनिसन द्वारा क्रीमिया युद्ध के दौरान एक असफल सैन्य कार्रवाई की स्मृति में लिखी गई " चार्ज ऑफ़ द लाइट ब्रिगेड " नामक कविता के इस वाक्यांश , जो कि उन्हें बहुत प्रिय है और उन्होंने इसे पहले भी अन्य भाषणों में कई बार इस्तेमाल किया,
I have pledged the Congress and the Congress will do or die.'' से करते हैं.... ''डू ऑर डाई.... करो या मरो'' ... ये सुनते ही मैदान में मौजूद हजारों की भीड़ में एक नया उत्साह आ जाता है. दूसरे दिन तडके ही जब महात्मा गाँधी सहित कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाता है तो गांधीजी के द्वारा दिए इसी मंत्र '' करो या मरो'' से प्रेरणा लेकर लाखों-करोड़ों लोग विदेशी शासन के खिलाफ सड़क पर उतर पड़े और देखते-देखते ये आन्दोलन एक जनक्रांति में बदल गया जिसे बाद में ''अगस्त क्रांति'' का नाम दिया गया.
ऐसे में सोचिये यदि देश की संसद में विपक्ष का मुखिया चुनाव आयोग के आंकड़ों के साथ वोट चोरी का तथ्यों के साथ अलग अलग टाईप के अनेकों साक्ष्य प्रस्तुत करें और सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग बजाए साथ आने,जाँच और दोषियों को सजा दिलाने की बात करने के उल्टे कोई "बदनाम" करने का घटिया जुमला बोले तो यह अघोषित आपातकाल नहीं तो और क्या है?? यह अपराधियों द्वारा अपराधियों का सरंक्षण नहीं तो और क्या है?
बदनामी चोरी करने से होती कि चोरी उजागर करने से, चोरी रोकने के लिए चोरों के पक्ष में बोलना चाहिए कि चोर के खिलाफ आवाज उठाने के पक्ष में. भारत का हित किस में है?? सुधार कैसे होता है. सोचिये किस तरह से आपको अनैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है .
यदि किसी राज्य सरकार के शासन में दंगाइयों को खुली छूट हो, हजारों लोग मार दिए जाएं और मारे गए लोगो न्याय के लिए कोई कोर्ट जाएं तो वह उस राज्य के मुखिया को बदनाम करने की साज़िश है ??
मारे गए लोगों की जान से अधिक जिसके कारण लोग मरें उसकी बदनामी को महत्वपूर्ण बनाना यह अपराधिक सोच और उनका बचाव नहीं तो और क्या है ?????
आप हंस नहीं देंगे !!! जबकि लोग मरे हों, घर उजड़े हों यह एक तथ्य हो ....
यदि सरकारी आंकड़े कहते हैं कि गुजरात शिक्षा, बच्चों, स्त्रियों के मामले में कश्मीर से पिछड़ा है तो यह बदनाम करने की साज़िश नहीं सत्य है ।
यदि बच्चों को मिड डे मील में नमक रोटी खिलाया जा रहा शिक्षा बजट के बावजूद,
बच्चे कीचड़ भरे टूटे फूटे खंडहर में पढ़ रहे हैं तो
खुद सरकार अपनी किरकिरी करा रही है
यदि किसी के शासन में बलात्कार हो बच्ची की टांग काटनी पड़े, बिना पूछे जबरन दाह संस्कार कर दिया जाए तो खुद ही पूरे सरकार और उसकी व्यवस्था का सड़ा हुआ पार्ट है । जो आप कितनी ही डेटिंग पेंटिंग कर ले लोगों के सामने आ जाएगा ।
यदि आपको बदनामी का डर है तो बदनाम करने वाले काम मत करें न कि अपेक्षा करें कि.....
आप लोगों की जेब काटते रहें, महंगाई से लोगों का दम निकल जाए,
आपके बुरे काम उजागर करने वालो को जेल में डालते रहें ,
बच्ची के बलात्कार पर जय श्री राम के नारे लगवाएं,
परीक्षा सेंटर पर लड़कियों से उनके अंडर गारमेंट्स उतरवाए बिना पेपर न देने दें
बीस लाख में मेडिकल सीट बिके
5 साल में भी ग्रेजुएट की डिग्री पूरी न हो
बाढ में जब लोगों के घर डूब गए आप टूरिज्म का आनंद उठाने वाला बेशर्मी भरा डायलग बोलें,
आपके ढोंगी सनातनी गुर्गे भेष बदलकर विभाजन की प्रयोगशाला के तहत दंगे भड़काने की कोशिश करें ,
अमीरों के घरों की डेकोरेटिव दीवार बनाने के लिए दिन दहाड़े खनन माफिया पूरा का पूरा पहाड़ चर जाए,
डीएसपी को कुचल दे
पत्रकारिता में सरकार की चाटुकारिता हो और झूठे तथ्यों से देश को गुमराह किया जाए,
नफरत से माहौल बिगाड़ने की 24*7 कोशिश हो ।
संवेदशील घटनाओं के तथ्य छुपाएं जाएं
और सच्ची बातों को जानबूझकर संदेह जनक बनाया जाए ।
आप अपने ही लोगों को फर्जी किसान/मज़दूर/चौकीदार बनाते सुंदर दृश्य बनाने की कोशिश करें और किसान वास्तव में आत्महत्याएं कर रहे हों ............
....... पर आपकी बदनामी न हो !!!
वाह रे तुम्हारी बदनामी का कांसेप्ट कि दोष चोर में नहीं है स्ट्रीट लाइट में है और स्ट्रीट लाईट लगवाने ने चोर को बदनाम करने की साज़िश की है । मतलब यह लोग आप लोगों को किस केवल का मूर्ख समझ रहे हैं सोच लीजिए !! कोई बच्चा स्कूल में अगर नालायक है तो स्कूल रिपोर्ट कार्ड में फेल लिख कर साजिश कर रहा है !!!
* लोगों के मरने से यदि किसी की बदनामी नहीं होती हो तो यह निर्लज्जता और क्रूरता की अथाह है । यदि कोई हत्यारे को हत्या कहे जाने पर बदनाम करने की साजिश बताए तो वह खुद हत्यारा है।
आपको तो जिनके साथ आना चाहिए आप उल्टा न्याय की बात के पक्ष में जाने वाले उन लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं । दरअसल यह अच्छे लोगों और बुरे लोगों में यही फ़र्क है और क्रिमिनल मानसिकता के लोगों का गुणसूत्र भी ।
उन्हें हत्या करने या करवाने में कोई शर्म महसूस नहीं होती पर जैसे ही कोई उनके दुष्ट चरित्र की पोल खोलने लगता है वे रिरियाने लगते हैं बदनाम करने की साज़िश हो रही है । ऐसा है तो मत करते हत्या,चोरी, डकैती,खून खराबा,अबे बुरा काम तुम कर रहे हो तो कह रहे हो तुम्हें बदनाम करने की साज़िश हो रही है ।
बेईमान को बेईमान नहीं कहा जाएगा तो क्या कहा जाएगा । किसी की कथनी और करनी में अंतर होगा तो लोग जुमला जीवी कहते हैं तो जुमला जीवी शब्द बैन करने से वो श्रम जीवी थोड़े ही बन जाएगा । तानाशाह के पाखंड को उसका निकम्मापन ही कहा जाएगा । यदि आपके हाथ में छुरा है तो लोग कहेंगे ही छुरा है फूल कहलवाने के लिए फूल लेना होगा ।
यदि आप चाहते हैं बदनामी न हो तो आपको तो खुद बुरे काम करना छोड़ दें न कि उपेक्षा करें कि आप कभी पकड़ में नहीं आएंगे । कोई देख नहीं रहा । लोग मुंह बन्द कर बैठ जाएं । आपको सोचना चाहिए आप अच्छे नागरिकों को प्रोत्साहन देना चाहते हैं या बुरे नागरिकों को ।
आप विकृति को अति के स्तर पर सोच रहे हैं कि सारे लोग विवेकहीन हो जाएं । ऐसी विकृत सोच से आपको आज या कल बाहर आना ही होगा (साभार)