मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने पीडब्ल्यूडी में गड़बड़झाला

लागत मूल्य बढ़ाकर की जाती है करोड़ों की कमाई
छत्तीसगढ़ में पीडब्ल्यूडी विभाग ने भ्रष्टाचार के नए तरीके ईजाद किए है और इसके चलते यहां के अधिकारी हर साल करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। आरोप तो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल पर भी लगाए जा रहे हैं कि उनके आने के बाद शुरु हुए इस खेल में ठेकेदारों को तो फायदा पहुंचाया ही जा रहा है बल्कि घटिया निर्माण के एवज में 20 से 25 प्रतिशत कमीशन तक लिए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ में पीडब्ल्यूडी विभाग में जिस तरह से घपलेबाजी की जा रही है वह आश्चर्यजनक है। बताया जाता है कि पैसे कमाने के नए-नए तरीके ईजाद किए जाने की वजह से निर्माण का स्तर न केवल निम्न दर्जे का हो गया है बल्कि सरकार को भी हर साल करोड़ों-अरबों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बताया जाता है कि पिछले माह पीडब्ल्यूडी ने दर्जनभर ई टेण्डर जारी किया था और इसके लिए ठेकेदारों को पहले से ही तैयार कर लिया गया था जिसके तहत इन कामों को 35 प्रतिशत बिलों पर टेण्डर स्वीकृत कर लिया गया।
एक ठेकेदार ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जब 20 से 25 प्रतिशत राशि विभाग के अधिकारियों व उच्च पदस्थ लोगों को कमीशन के रुप में दिया जाता है तब भला 35 प्रतिशत बिलों पर कोई काम कैसे कर सकता है और इसे मिला दिया जाए तो यह राशि 50 प्रतिशत से अधिक होती है। इस बारे में जब छानबीन की गई तो पता चला कि यह सब मंत्रालय स्तर पर रचा गया खेल है जिसके तहत चहेते ठेकेदारों को 35 प्रतिशत बिलों में टेण्डर भरने कहा गया था।
बताया जाता है कि इस रेट पर क्वालिटी से समझौता तो किया ही जा रहा है निर्माण में भी अत्यंत घटिया दर्जे के करने की छूट दी गई है। इधर यह भी पता चला है कि अपने चेहतों को टेंडर देने यह रणनीति जानबूझकर अपनाई जाती है और बाद में निर्माण लागत में वृध्दि कर दी जाती है ताकि ठेकेदारों को इस दर पर भी कोई घाटा न हो। राजधानी के दमदार माने जाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल इस विभाग के मंत्री है और कहा जाता है कि इस तरह के खेल की जानकारी उन्हें भी है। दूसरी तरफ हाल में दिए गए दर्जनभर टेण्डर को लेकर कई तरह की चर्चा है और कहा जा रहा है कि इस मामले में जमकर कमीशनखोरी हुई है।इधर पीडब्ल्यूडी में पदोन्नति को लेकर हुई लेनदेन का मामला कोर्ट में जाने से हड़कम्प मचा हुआ है। बहरहाल पीडब्ल्यूडी में चल रहे व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार की कहानी आम लोगों में चर्चा का विषय है और कहा जा रहा है कि यदि मुख्यमंत्री ने यहां हस्तक्षेप नहीं किया तो डामर कांड से भी बड़ा कांड उजागर हो सकता है। जिसका जवाब देना सरकार को मुश्किल होगा।

1 टिप्पणी:

  1. कौशल जी, अच्छा समाचार है।
    ऐसे समय में जबकि मीडिया आइना दिखाने वाली खबरों से परहेज़ करने लगी है, ऐसे समाचारों का स्वागत किया जाना चाहिए।

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