सोमवार, 19 जुलाई 2010

सरकार की करतूत पर कांग्रेसियों की खामोशी से उठते सवाल


कांग्रेसियों की सेटिंग या बी टीम?
यह तो अब मारा तो मारा अब मारा के देख की कहावत है या चोर-चोर मौसेरे भाई की कहावत है यह तो जनता ही जाने लेकिन छत्तीसगढ़ में लगातार हार के बाद भी कांग्रेसियों ने जिस तरह से भाजपा के खिलाफ खामोशी ओढ़ ली है उससे आम लोगों में कई तरह की चर्चा है। खासकर आधे छत्तीसगढ़ में शासन नहीं वाली सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी कांग्रेसियों की खामोशी को लेकर कोई सेटिंग बता रहा है तो कोई इसे भाजपा की बी टीम बताने से नहीं चूक रहा है।
छत्तीसगढ़ में लगातार चुनाव हारने से पस्त हो चुके छत्तीसगढ़ कांग्रेस की भूमिका को लेकर सवाल इसलिए उठाये जा रहे हैं क्योंकि कांग्रेसी आंदोलन से बच रहे है। छसपा नेता अनिल दुबे तो साफ कहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस भाजपा की बी टीम बनकर काम कर रही है। जबकि बिजली से लेकर धर्म के अनादर की बात हो। दलई से लेकर बाबूलाल अग्रवाल का मामला हो या फिर सुप्रीम कोर्ट की सरकार पर की गई टिप्पणी हो। कांग्रेसी कुछ भी बोलने से बचते रहे।
एक भाजपा नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि यदि स्टेट में कांग्रेस की सरकार होती और ऐसी टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने किया होता तो वे गांव-गांव में सरकार का जुलूस निकाल देते और नाक में दम करत देते। लेकिन कांग्रेसी क्यों चुप हैं जनता समझ रही है।
इस संबंध में जब हमने प्रदेशाध्यक्ष धनेन्द्र साहू से बात की तो उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद सरकार को एक भी दिन बने रहने का अधिकार नहीं है लेकिन आंदोलन के सवाल पर वे बात टाल गए। अन्य नेता तो इस मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी से बचते रहे और बड़े नेताओं पर मामला टाल दिया। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद कांग्रेसियों की खामोशी को लेकर आम लोगों में ही नहीं कांग्रेस के छोटे कार्यकर्ता भी बेहद नाराज हैं और इसकी शिकायत सोनिया गांधी से भी की जा रही है।

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