शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

छत्तीसगढ़ में कौन सी भाजपा का शासन है...

 क्वीन बेटन को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में जो उत्साह का वातावरण बना वह यहां के लोगों के खेल भावना का घोतक है लेकिन पूरे देश में क्वीन बेटन का विरोध करने वाली भाजपा का छत्तीसगढ़ में बढ़चकर हिस्सा लेने से यह सवाल उठने लगा है कि क्या भाजपा में हाईकमान और पार्टी निर्देश छत्तीसगढ़ में बेमानी है या फिर यहां किसी और भाजपा का शासन है।
क्वीन बेटन दरअसल राष्ट्रमंडल खेल का वह मशाल है जो हर आयोजन के पहले राष्ट्रमंडलीय देशों में भ्रमण करता है। दिल्ली में इस बार इसका आयोजन है और क्वीन बेटन के उद्देश्य के प्रचार प्रसार के लिए इसे पूरे देश में घुमाया जा रहा है।
देश का प्रमुख राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी इस मशाल को गुलामी का प्रतीक बताते हुए इसके भ्रमण की तीखी आलोचना की है। दिल्ली से लेकर झारखंड हो या बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश हर जगह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता इसके विरोध में खड़े हो गए है और अपना आक्रोश प्रकट भी कर रहे है।
छत्तीसगढ़ में इसके आगमन की बात हुई तो लगा कि यहां भी भाजपा इसका विरोध करेगी और सरकार होने की वजह से क्वीन बेटन के रास्ते या तो बदल दिये जायेंगे या फिर छत्तीसगढ से ये चुपचाप गुजर जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्वीन बेटन पर न केवल भाजपाई बल्कि डॉ. रमन सिंह सरकार ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
भाजपा की इस दोगली नीति को लेकर भाजपा के ही कई कार्यकर्ता नाराज है। भाजपा के एक नेता ने तो नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि मंदिर मुद्दे की दोगलाई ने हमें केन्द्र से ढकेल दिया इसके बाद भी हम नहीं सुधर पाये हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि हाईकमान के विरोध के बावजूद जिस तरह से पूरी सरकार यहां क्वीन बेटन के स्वागत में पलक ....बिछाई रही वह आश्चर्य जनक है।
इसी तरह आर एस एस से जुड़े एक नेता ने कहा कि यह विडंम्बना है कि किसी मुद्दे पर हम एक नहीं हो पा रहे हैं जिसकी वजह से भाजपा की छिछालेदर हो रही है। अब तो यह सवाल उठने लगा है कि जहां-जहां भाजपा की सत्ता है क्या वहां वहां भाजपा के नेता अपने हिसाब से काम करेंगे।
बहरहाल इस मामले को लेकर आम लोगों में भी भाजपा की इस राजनीति की काफी तीखी प्रतिक्रिया है कुछ तो हाईकमान तक से सरकार की शिकायत करने का मन बना चुके है और गडकरी के सामने भी बात लाई जेयेगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें