मामूली अपराध पर मान मालिकों को अपराधी बना देने वाली छत्तीसगढ़ पुलिस ने किस कदर भाजपा नेत्री नीना सिंह की कंपनी के द्वारा की गई डकैती के बाद अपनी दुम दबा ली यह इन दिनों चर्चा में है। बारुद जैसे संवेदनशील मामले में पुलिस ने जिस तरह से कार्यवाही की उससे भाजपा नेत्री नीना सिंह की दबंगई साफ झलक रही है यही नहीं इस मामले में शिकायतकर्ताओं के आगे जिस तरह से राजधानी की पुलिस गिड़गिड़ाते नजर आई वह भाजपाई सत्ता के लिए भी शर्मसार कर देने वाली है।
वैसे तो सत्ता के दबाव में पुलिस अनदेखी की कहानी नई नहीं है लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से यह मामला अति संवेदनशील होने के बाद भी जिस तरह से पुलिस ने कार्रवाई की वह आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है। बारुद पैकेनिंग फैक्ट्री में डकैती करने वाले रंगे हाथ पकड़े जाते है लेकिन डकैती के सूत्रधारों के खिलाफ शिकायत के बाद भी जुर्म दर्ज नहीं किया जाता।
दरअसल घटना उरला स्थित एक बारुद पैकेजिंग बाक्स निर्माता फैक्ट्री में लूट व डकैती की है। एक्सप्लो पैक नामक इस कंपनी में 11 अक्टूबर को नवभारत एक्सप्लोजिव्ह फैक्ट्री के कर्मचारी पहुंचकर ताला तोड़ते
है और पैकेजिंग बाक्स लूट लेते हैं मौके पर इसका खुलासा होते ही पुलिस पहुंचती है और मौके पर ही पुलिस ने वाहन सहित लगभग आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर वाहन में लोड किए गए लगभग 3250 नग पैकेजिंग बाक्स जब्त करती है।
पुलिस ने इस मामले में इतनी तत्परता दिखाई कि सात दिन में ही जांच कर कोर्ट में चालान पेश कर दिया और बगैर पीसीआर के आरोपी कोर्ट से जमानत पर छूट गए। इतना ही नहीं पुलिस ने मौके से जब्त किए मेटाडोर क्रमांक सीजी 04 जे 9805 को भी सुपुर्दनामे में दे दिया और इतने महत्वपूर्ण पैकेनिंग बाक्स को खुले में उतार दिया। जबकि सामान्यत: जब तब सामान की सुपुर्दनामा नहीं होता वाहन नहीं छोड़े जाते। पुलिस की हड़बड़ी की एक मात्र वजह राजिम क्षेत्र से भाजपा की टिकिट पर चुनाव लड़ चुकी नीना सिंह को बताया जा रहा है क्योंकि नवभारत एक्सप्लोजिव का नीना सिंह पूर्णकालीक संचालक है।
इस संबंध में पैकेनिंग बाक्स फैक्ट्री मालिक सुनील सरावगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस के हरेक अधिकारियों से वे मिल चुके हैं लेकिन राजनैतिक दबाव के चलते कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने इस मामले में नवभारत एक्सप्लोजिव के संचालक विजय कुमार सिंह, विशाल सिंह, डॉ. नीना सिंह, गीता सिंह पर भी डकैती की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए जुर्म पंजीबद्ध करने की मांग की। सुनील सरावगी ने कहा कि भारी राजनैतिक दबाव में छत्तीसगढ़ पुलिस ने जिस तरह से इस संवेदनशील मामले की अनदेखी की है वह न केवल आश्चर्यजनक है बल्कि पुलिस ने जानबूझकर आरोपियों को बचाने का कार्य किया। यही नहीं डकैती के इस मामले में पुलिस ने चोरी का अपराध पंजीबद्ध किया यह भी आश्चर्यजनक है।
नागपुर के इस शिकायकर्ता ने साफ कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य पहले से ही नक्सली समस्या से ग्रस्त है इसके बाद भी पुलिस ने विस्फोटक पैकेनिंग बाक्स में लूटमार की घटना को गंभीरता से नहीं लिया जबकि बारुद बगैर पैकेजिंग के नहीं भेजा जा सकता और एनएफसीएल और एनईसीएल क्यों यह सामान लूटना चाहता था और उनकी मंशा क्या थी। उन्होंने यह भी कहा की पुलिस को जांच करनी चाहिए कि लूटमार की इस घटना को राष्ट्रविरोध या अनैतिक कर्म के लिए प्रयोग तो नहीं किया जा रहा था। बहरहाल सुनील सरावगी ने फैक्ट्री में हुई लूटमार को लेकर पुलिस के रवैये से हैरान होकर कोर्ट में जाने की बात कही। वहीं हमने भी नवभारत एक्सप्लोनिव के संचालकों से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए।
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