सोमवार, 5 अप्रैल 2021

बंद कर दो ये नरसंहार...!

 

बीजापुर में नक्सलियों ने फिर दो दर्जन से अधिक जवानों की हत्या कर दी, अपनी इस कामयाबी पर नक्सली जश्न मना रहे होंगे? लेकिन उन मजदूर और किसानों का क्या जिनके बेटे सालों से नक्सलियों के हमले में मारे जा रहे हैं?

मुझे एक बात नक्सलियों से सीधी पूछनी है कि क्या जवानों को मार देने से उनका राज आ जायेगा? जो लोग अपने बूढ़े मां-बाप और पत्नी बच्चों को छोड़कर नौकरी में आते हैं, उनकी क्या गलती है! इस हमले में कई नक्सली भी मारे गये हैं, उनकी लाशें देखकर भी यदि तुम्हें तरस नहीं आता तो इसका मतलब साफ है कि जो कुछ भी तुम कर रहे हो वह तुम्हारा धंधा है! धंधा तो आजकल नेता भी कर रहे हैं ऐसे में क्या तुम्हारी और नेताओं में सांठ-गांठ नहीं चल रही है?

एक बात और पूछनी है मुझे नक्सलियों से क्या ये हमला भी झीरम कांड की तरह कोई साजिश है? यह सवाल इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि जिस तरह से झीरम हमले को सत्ता बचाने की साजिश के रुप में देखा जा रहा था वैसे ही इस हमले को भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के असम के चुनावी दौरे से देखा जा रहा है।

हर हमले की जिम्मेदारी लेकर अपने सीने को 56 इंच बताने वालों नक्सली क्या यह भी बता पाओंगे कि यह हमला भी किसी राजनैतिक साजिश का हिस्सा है या नहीं। खैर तुम लोग कुछ नहीं बताओंगे लेकिन जनता जान चुकी है कि नक्सली अब किसी मुद्दे पर नहीं सिर्फ पैसों के लिए लड़ाई लड़ते हैं और जब पैसा  और सत्ता ही सबकुछ है तो फिर क्या फर्क पड़ता है कि इसमें गरीब किसान मजदूर के बच्चे मरे या किसी की सत्ता हिले! तुम्हें तो बस पैसा चाहिए।

लेकिन एक बात ध्यान रखना मौत किसी की भी अच्छई नहीं होती और इस मौत के बाद उनके परिजनों की आह से कोई नहीं बच पायेगा? इसलिए अब भी वक्त है, ये नरसंहार बंद कर दो और व्यवस्था की कमजोरी से लडऩे के लिए अहिंसा के रास्ते पर आ जाओं।

नफरत, झूठ, अफवाह और हिंसा से हासिल सत्ता की न उम्र अधिक होती है और न ही इस रास्ते से सत्ता हासिल करने वाला ही कभी सुखी रहता है। हालांकि तुम्हें इन बातों से क्या मतलब, क्योंकि तुम लोग या तो ईश्वर के अस्तित्व को नकारते हो या ईश्वर के नाम पर अपनी रोटी सेकते हो। फिर भी एक बार और कहूंगा बार-बार कहूंगा बंद करो ये नरसंहार!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें