शुक्रवार, 28 जून 2024

अपराधी चला रहे थाना फिर पुलिस से डर कैसा...

 अपराधी चला रहे थाना 

फिर पुलिस से डर कैसा...


रमन राज में जब पूर्व गृह‌मंत्री ननकी राम कंवर ने कहा था कि दस - दस हजार में थाने बिकते हैं और कलेक्टर- एस पी वसूलीबाज़ हो गये हैं, तब विधानसमा में इस बात को लेकर खूब हल्ला मचा तो क्या छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही यही स्थिति बन गई है और बढ़ते अपराध की एक बड़ी वजह साँठ-गाँठ है, या फिर शराब के धंधे में लिए नेताओं को ऐसे ही लोग चाहिए जो उनके अवैध शराब के धंधे को फलने-फूलने का अवसर दें।

छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराध की खबर ने आम आदमी की चिन्ता बड़ा‌ दी है, हत्या - बलात्कार के बढ़‌ते मामलो के बीच अपराधियों को पकड़ने की बजाय शिकायत करने वालों को ही परेशान करने का मामला भी बढ़‌ता ही जा रहा है। और अपराधी कॉलर उठाये बेखौफ़ घूम रहे हैं।




राजधानी में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद है कि वे थाने में ही गवाहों पर हमला करने लगे हैं।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार थाने महिला आरोपी ने गवाह पर ब्लेड से हमला कर दिया। मामला शहर के संवेदनशील क्षेत्र माने जाने वाले मौदाहापारा का है, जहां उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया था। कांकेर सहित दूसरे स्थानो के हिस्टरी शिटर यहां रह रहे थे। गिरफ्तार उपद्र‌वियों में दो महिलाएं भी है। जिन पर आर्म एक्ट का मामला भी दर्ज हैं।

हालांकि पुलिस का कहना है कि काले धागे में बंधी ताबिज जैसी चीज से वार किया गया है। जबकि घायल युवक ब्लेड से वार करना बता रहा है। वह भी थाने के भीतर।


इधर पुलिस पर, चाकू से वार या हमले के मामले को धारदार नुकीले  चीजों से मारने का रिपोर्ट लिखकर या  लूट को चोरी, डकैती को चोरी बताकर मामले को कमजोर करने का आरोप भी लगता रहा है। तो अपराधियों को नहीं पकड़‌ने की बात आम है।

शहर के प्रतिष्ठित अख़बार नवभारत ने तो बकायदा इस शीर्षक के साथ समाचार प्रकाशित भी किया कि “पुलिस घेरे के बीच नजर आए कई फ़रार आरोपी' बाकायदा तस्वीर के साथ प्रकाशित इस रिपोर्ट  में बताया गया है कि जिन लोगों को पुलिस तलाश कर रही है या जिनके ख़िलाफ़ थाने में वारंट है वैसे लोग खुले-आम थाना आते जाते हैं और  पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करती।

सूत्रों की माने तो राजनैतिक पहुंच के चलते ही पुलिस अपराधियों को बख्श रही है।

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