रविवार, 30 जून 2024

घर को आग लगी अपने ही चिराग से...

घर को आग लगी अपने ही चिराग से...


यह तो घर को आग लगी अपने ही चिराग से की कहावत को ही चरितार्थ करता है वर्ना, कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता ताम्रध्वज साहू की इतनी बुरी स्थिति कभी नहीं आई कि उन्हें अब अपने ही लोग गरियाने लगे, और उनके बैठने के लिए कुर्सी तक नही छोड़ी जाए।

विधायकी से लेकर संसद तक का सफर तय करने वाले ताम्रजध्वज  साहू को लेकर एक समय तो ऐसा भी आया था कि उनके मुख्यमंत्री बनने की खबर मात्र से फटाखे तक फोड़ दिये गये थे, और कहा जाता है कि • इसी फटाखे की वजह से उनके हाथ से मुख्यमंत्री का पद फिसल गया और गृह मंत्री से संतोष करना पड़ा ।

इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में तो उन्हें हार का मुंह देखना तो पड़ा ही महासमुंद से लोकसमा चुनाव में भी बुरी तरह से हार की बेइज्जती भी झेलनी पड़ी। 

कहा जाता है कि दुर्ग छोड़कर महासमुंद का सुझाव भले ही भूपेश ने सुझाया हो लेकिन इस पर मुहर तो छोटे ने ही लगाई थी।

लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाने से लेकर सांसद का चुनाव हारने की जो वजह सामने आ रही है वह भी कम पीड़ादायक नहीं है।

हालाँकि समीक्षा बैठक में केवल सत्ता का अहंकार का मामला चर्चा  तक सिमट कर रह  गया लेकिन ताम्रध्वज साहू की इस स्थिति के लिए असली वजह पर कितनी बात हुई कहना मुश्किल है। आख़िर किसी के बेटों को लेकर कौन चर्चा करता है।

लेकिन ताम्रजध्वज साहू के मामले में तो बोला जा सकता था कि पूरे पाँच साल किस तरह से विभाग चलाया गया। और इस स्थिति के लिये उनका अपना ही जिम्मदार है यह बात कोई नहीं बोल पाया क्योंकि मंत्रालय छोटा वाला चला रहा था या बड़ा वाला, यह सबको मालूम है। यानी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन? सब जानने लगे हैं ।

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