शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

कौशिक की कुलबुलाहट…

 कौशिक की कुलबुलाहट…


कभी विधानसभा में अध्यक्ष रहे धरमलाल कौशिए इन दिनों सत्ता होने के बाद भी विपक्ष की भूमिका में खूब नाम कमा रहे हैं, जल जीवन मिशन के बपले घोटाले को लेकर तो उन्होंने अपने ही उपमुख्यमंत्री अरुण साव की बोलती बंद कर दी। वह तो विधानसमा स्पीकर डॉ रमन सिंह ने स्थिति को भांपते हुए हस्तक्षेप कर दिया नहीं तो धरमलाल कौशिक अधिकारियों और ठेकेदारों से वसूली करवा  कर ही दम लेते। स्वास्थमंत्री को तो ऐसा तगड़ा कि वे कभी नहीं भूल पायेंगे।

कहा जाता है कि असल में कौशिए मंत्री बनना चाहते  हैं लेकिन पहले ही बिलास‌पुर से मंत्रियों की भरमार और उपर से जाति समीकरण में अपने से जूनियर टंकराम वर्मा से मात खाने के बाद वे कुलबुलाने लगे है। 

कहा जाता है कि जिसके सहारे वे मंत्री बनना चाहते थे उन्होंने भी उनकी सिफारिश करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि लगातार चुनाव तो वे जीत नहीं पाते हैं फिर मंत्री किस काम को देखकर बनाया जाए। 

अविभाजित मध्यप्रदेश में भी विधायक रहे धामलाल कौशिक के बारे में कहा जाता है कि उनकी दाऊ गिरी के अपने क़िस्से हैं लेकिन लाल बत्ती का सपना संजोने वाले कौशिक को फटका तब लगा जब इस बात की चर्चा होने लगी कि अब विधायकों को निगम -मंडल या आयोग में भी नहीं बिठाया जायेगा।

तब से उनका ग़ुस्सा बेक़ाबू हो गया है।

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