पीएम केयर फंड पर उठते सवाल…
मोदी सत्ता के दौर में देश के प्रधानमंत्री का डिग्री को लेकर उठते सवालों के बीच पीएम केयर फंड को लेकर भी सवाल उठने लगे है, ग़ज़ब पीएम का अज़ब खेल की तर्ज़ पर चल रहे खेला का मतलब सरल भाषा में समझिए…
पीएम केयर फंड को लेकर उठते सवाल के बारे में बताये उससे पहले बता देते हैं कि बहुत सारे लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि कब तक बचोगे? जब भी दूसरी सरकार बनेगी, डिग्री सार्वजनिक हो जाएगा। पर ऐसे लोग भूल रहे हैं कि शॉर्ट सर्किट से लगी आग,.. पानी में गल जाने...या चूहों के कतरने से कैसे रोक पाओगे?
याद है न ! यही सरकार है ,जो सुप्रीम कोर्ट में बता चुकी है कि राफेल सौदे की फाइल चोरी हो गई है।
खैर, वर्तमान में हमारी देश की न्यायपालिका, विधायिका ,कार्यपालिका तीनों की लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता स्टेक पर है...!!
या सबसे बड़ा सवाल तो उस पीएम केयर फंड का है जिसे प्रचारित इस ढंग से किया गया मानो यह सरकारी हो ।लेकिन यह भ्रम भी अच्छे दिन की तरह टूट गया क्यों कि सरकार की निगाह में चुनावी नतीजे सरकार की नीतियों का जनता द्वारा अनुमोदन है। सरकार ने 24-03-2020 को लाॅक डाऊन कर दिया और 27-03-2020 प्रधान मंत्री जी ने टीवी पर आकर "पीएम केयर्स फंड" की घोषणा कर दी। इसे कहतें "आपदा में अवसर" आपदा तो जनता के लिए थी पर गुजरात के व्यापारी (डीएनए) ने उसमें मौका तलाश कर लिया। लोगों ने समझा कि शायद यह प्रधान मंत्री जी का जनता की केयर करने के लिए सरकारी फंड है। जबकि प्रधान मंत्री आपदा फंड और प्रधान मंत्री रीलीफ़ फंड पहले से ही मौजूद था। इस नये फंड का औचित्य समझ से बाहर था। लेकिन कहा गया है कि आपातकाल में लोगों की सोचने की शक्ति क्षीण हो जाती है। लोगों ने सरकार के कहने पर अपने वेतन का भी अंशदान किया। बहुत से लोगों ने अपनी पेट काट कर की बचत भी इस फंड में डाल दी ताकि प्रधान सेवक ग़रीब जनता के लिए फंड से मदद मुहैय्या करवा सकें।
लेकिन जब इस फंड के एकाउंट के बारे में पूछताछ की तो सरकार ने कहा," यह सूचना के अधिकार-2005 के दायरे से बाहर है। इसलिए कोई जानकारी देने की ज़रूरत नहीं है।
लेकिन लोग कहां मानते है वह सुप्रीम कोर्ट चले गए। अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा,"यह कोई सरकारी फंड है ही नहीं। यह तो प्राइवेट फंड है।" हम तो समझ रहे थे कि जिस फंड के ट्रस्टी प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री वित्त मंत्री और पीएमओ है और वह सरकारी चिन्ह इस्तेमाल कर रहें हैं वो प्राइवेट कैसे हो सकता है। लेकिन सरकार तो भी सरकार है, वो भी विश्व गुरू की वो कहां जवाब देती है।
पता लगा कि वर्ष 2021 के बाद इस फंड का ऑडिट तक नहीं हुआ। जो थोड़ा-बहुत एक-डेढ़ पेज के ऑडिट से पता लगा कि इस फंड से वेंटिलेटर खरीदे गए थे। कहां से, किस के लिए और कैसे खरीदे गए यह गोपनीय सूचना है। यह भी पक्के तौर पर पता नहीं है कि इस फंड में कितना पैसा है और किसने जमा किया है। यह भी किसी को नहीं पता। उड़ती खबर है कि इसमें बीस हजार करोड़ रुपए जमा हैं।
खैर साधारण आदमी होता तो सारी जांच एजेंसियाँ लग गई होती पीछे टीवी कैमरों समेत, सूत्रों से जानकारियां टीवी पर मिलती और गिरफ्तारियां हो जाती लेकिन सरकार के कामकाज पर कौन सवाल उठा सकता है। प्रधान मंत्री की केयर देखभाल करने के लिए यह प्राइवेट फंड है।
वैसे बदले हालात में जब विपक्ष मजबूत है और सरकार बहुमत के आंकड़े से दूर तो इस पीएम फंड की भी कुछ सुधि यानी केयर होनी चाहिए। पता तो लगे पीएम की कौन-कौन केयर कर रहा था और फंड किसकी केयर में लगा था।(साभार)
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