
छत्तीसगढ़ में मची लूट खसोट की यह सबसे खतरनाक कड़ी है बालको हादसे का मामला हो या उद्योगों को जमीन हड़पने की छूट का मामला हो कहीं न कहीं सरकार के मुखिया की भूमिका संदिग्ध नजर आती है ऐसे

छत्तीसगढ़ राय ने यह नियम बनाया है कि बिजली उत्पादन करने वाले उद्योग सीएसईबी को ही बिजली देंगे। इसी नियम के अनुरूप मेसर्स जिंदल पॉवर लिमिटेड तमनार जिला रायगढ़ और छत्तीसगढ़ विद्युत बोर्ड के बीच एग्रीमेंट हुआ। इसके तहत जिंदल द्वारा कुल विद्युत उत्पादन का 37.5 प्रतिशत बिजली विद्युत मंडल को जिंदल द्वारा दिया जाना था। लेकिन यह सब नहीं हुआ। वास्तव में एग्रीमेंट के मुताबिक छत्तीसगढ़ विद्युत बोर्ड यह बिजली 2 रुपए 88 पैसे में खरीदी करती। इधर जिंदल ने वर्ष 2009 में 8028.02 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया और उसने छत्तीसगढ़ को केवल 1337.84 मिलियन यूनिट बिजली ही दिया जबकि कुल उत्पादन के हिसाब से छत्तीसगढ़ को 3015.50 मिलियन यूनिट बिजली मिलनी थी। यानी 1672.66 मिलियन यूनिट बिजली छत्तीसगढ़ को कम मिली।
पूरा खेल

इस सारे खेल में किसकी भूमिका यह जांच का विषय है। एक तरफ प्रदेश में लोग बिजली संकट से जूझ रहे है और दूसरी तरफ जिंदल को बिजली खरीदने की बजाय उसे लाभ पहुंचाया जा रहा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि उर्जा विभाग मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पास है तब यह सब हुअआ ऐसे में उनकी भूमिका को लेकर संदेह उठना स्वाभाविक है और करोड़ों में लेन देन के आरोप भी लग रहे हैं।उनकी भूमिका पर संदेह इसलिए भी उठता है कि मुख्य सचिव पी.जाय. उमेन ने अपने नोटशीट में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और जिंदल पॉवर लिमिटेड के एमडी नवीन जिंदल से हुई बैठक की बात लिखी है। इस पत्र में कई तरह के खुलासे हैं जो मुख्यमंत्री की भूमिका पर संदेह व्यक्त करने के लिए काफी है।
बड़ी ब्लास्टिंग स्टोरी है कौशल जी।
जवाब देंहटाएंबहरहाल, मेरा मानना है कि प्रभाव पैदा करने वाली खबरों का असर होता जरूर है। मुझे भी उस असर का इंतजार रहेगा।
kaushal, tumame shuru se hi ek sambhavanaa thee. lekin mai dekh rahaa hoo ,ki ab blog-lekhan ke jariye tumhaaraa sarthak patrkaar saamane aa rahaahai.lege raho 'mayookh''
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