छत्तीसगढ़ की भाजपाई राजनीति में धीरे-धीरे कब्जा जमा रहे सूर्या फाउण्डेशन को लेकर आम भाजपाईयों में नाराजगी तो है लेकिन वे इसके पीछे सौदान सिंह का हाथ होने की चर्चा की वजह से खामोश है। हालत यह है कि असंतुष्ट भाजपाईयों ने सूर्या फाउण्डेशन के लोगों के खिलाफ रणनीति बनाने जुट गए हैं।
वैसे तो सूर्या फाउण्डेशन का गठन 18 साल पहले हुआ था लेकिन छत्तीसगढ़ में यह तब सक्रिय हुआ जब यहां भाजपा की सरकार बनी। कहा जाता है कि सूर्या फाउण्डेशन के प्रशिक्षित युवकों को यहां लाने का काम भाजपा के दमदार नेता सौदान सिंह ने किया। एक तरह से इसे सौदान सिंह का निजी जासूस भी कहा जाने लगा है।
बताया जाता है कि इन युवकों को सुनियोजित ढंग से छत्तीसगढ़ के सभी भाजपा कार्यालयों में ही नहीं बल्कि भाजपाई मंत्री व विधायकों के बंगलों पर भी काम पर लगाया गया है। नेताओं पर लगाम कसने की रणनीति ने सौदान सिंह को ताकतवर बनाया है। हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक राजधानी के एकात्म परिसर में इन दिनों सूर्या फाउण्डेशन से जुड़े युवाओं का भारी दबदबा है और कहा जाता है कि मीडिया विभाग से लेकर कार्यालय चलाने और भोजन कक्ष में भी इनकी जबरदस्त घुसपैठ है। किस नेता को क्या बोलना है कितना बोलना है यह निर्देश भी यही से आने की चर्चा है।
दूसरी तरफ इस नए व्यवस्था से स्थानीय भाजपाईयों में जबरदस्त रोष व्याप्त है। कहा जाता है कि एकात्म परिसर में आधा दर्जन युवा सालों से काम कर रहे हैं उन्हें नए-नए तरीके से प्रताड़ित किए जाने की चर्चा है। कहा जाता है कि यहां काम करने वाले लोग पहले यहां काम की अधिकता पर भोजन वगैरह कर लेते थे इस पर अब प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी तरह कई मामलों में उन पर दबाव डाला जाता है। बताया जाता है कि इस बात का दुखड़ा यहां आए दिन सुना जा सकता है।
बताया जाता है कि एकात्म परिसर आने वाले भाजपाईयों के साथ भी इनका कई बार विवाद हो चुका है कौन कहां तक जाएगा यह भी यही लोग तय करते हैं। बहरहाल चर्चा के पीछे सौदान सिंह का हाथ होने की खबर ने स्थानीय नेताओ के मुंह में ताला जड़ दिया है जो कभी भी विस्फोटक रुप ले सकती है।
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