वेयर हाउसिंग का उमेश अग्रवाल हैं ताकतवर
अनुमति के विदेश यात्रा पर गए खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहिले को मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के द्वारा फटकार लगाए जाने के बीच यह चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि विदेश यात्रा के सूत्रधार उमेश अग्रवाल को शासन द्वारा कुछ भी नहीं किया गया जबकि सचिव विवेक ढांड से भी जवाब तलब किए जाने की खबर है।
छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग में अफसरों की भर्राशाही का इससे दूसरा उदाहरण और क्या होगा कि मुख्यमंत्री के द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद भी वेयर हाउसिंग के खर्चे पर विदेश यात्रा की गई। बताया जाता है कि विदेश यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री ने न केवल खाद्य मंत्री बल्कि सचिव को भी फटकार लगाई है लेकिन उमेश अग्रवाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि उनकी मनमानी की ढेरों शिकायतों मुख्मयंत्री तक की जा चुकी है।
सदैव चर्चा में रहे राय शासन के अफसर उमेश अग्रवाल जिनके कारनामों से छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के कर्मचारी त्रस्त है। बताया जाता है कि उक्त अफसर का संपूर्ण सेवा काल विवादित ही रहा है, निगम के इस गरिमापूर्ण पद पर आने से पहले वे रायपुर जनपद के सी.ओ.के. पद पर अपनी हठी मानसिकता के कारण इतने अधिक विवादित रहे कि जनपद के त्रस्त कर्मचारियों को सड़क पर अआकर विरोध प्रदर्शन करना पड़ा। जिसके कारण शासन को मजबूरन इन्हें सी.ओ. पद से हटाना पड़ा था।
जिस छत्तीसगढ़ राय में मुख्यमंत्री गरीबों एवं मैदानी स्तर के कर्मचारियों के उत्थान के लिए प्रत्यनशील है उन्हीं के शासनकाल में राय की एकमात्र स्टोरेज एजेन्सी के कर्मचारी प्रताड़ना एवं भय के साम्राय में जीवन काट रहे हैं जिसकी वास्तविक तस्वीर समय-समय पर बुलंद छत्तीसगढ़ में प्रकाशित की है। सूत्रों के मुताबिक अफसर की मनमानी से आश्चर्य होता है कि शाखा रायगढ़ एवं शाखा जगदलपुर में भारी मात्रा मे ंचावल के बोरे कम पाए गए परन्तु शाखा रायगढ़ के शाखा प्रबंधक को रायगढ़ से हटाकर पुन: अन्य शाखा पर प्रबंधक पदस्थ किया गया एवं शाखा जगदलपुर के शाखा प्रबंधक पर प्रभावशाली सांसद के दबाव में उमेश अग्रवाल द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि इस वर्ष के अलावा पूर्व वर्ष भी उक्त प्रबंधक द्वारा लगभग 1100 बोरी की अफरातफरी की गई थी आज भी उसे जगदलपुर शाखा पर प्रबंधक बना कर रखा गया है। यह भी एक मिसाल है कि शाखा अम्बिकापुर के घोटालेबाज प्रबंधक को मात्र दिखावे के लिए कुछ समय के लिए शाखा दुर्ग अटैच किया गया एवं शीघ्र ही उसे शाखा खरोरा पर प्रबंधक की हैसियत से नवाजा गया। जबकि नियमानुसार इस तरह के अपराधिक कृत्य करने वाले कर्मचारी को शाखा प्रबंधक जैसे जिम्मेदार पद से हमेशा के लिए पृथक कर दिया जाता है।
निरंकुशता एवं मनमानी की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी कि निगम के प्रबंध संचालक के पद पर विराजित उक्त अफसर ने 18 मई को निगम के जिला शाखा प्रबंधकों की बैठक में खुला ऐलान किया कि मैं इस निगम से अपनी इच्छा से जाऊंगा कोई मेरी इच्छा के बगैर मुझे नहीं हटा सकता है। जो कि परोक्ष रुप में शाखा को खुली चुनौती का दर्जा रखती है। शासन के इस अफसर ने नवपदस्थ एवं अनुभवहीन तकनीकि सहायकों को जिनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं हुई है तथा निगम में मात्र 8 माह पूर्व ही पदस्थ हुए है को विभि शाखाओं पर शाखा प्रबंधक बना कर पूर्व में पदस्थ अनुभवी एवं वरिष्ठ कर्मचारियों को जो कि शाखा प्रबंधक की हैसियत से कार्य कर रहे थे उन्हें नवपदस्थ तकनीकि सहायकों के अधीनस्थ कार्य करने का गैर जिम्मेदाराना आदेश जारी कर दिया गया है।
जहां पूरे प्रदेश में समस्त शासकीय एवं निगम मंडल के कर्मचारियों को छठवां वेतन दिया जा चुका है एवं एरियस की द्वितीय किश्त देने की घोषणा की जा चुकी है वहीं सदैव लाभ देने वाले इस निगम के कर्मचारियों को पुनरीक्षित वेतनमान का आदेश जारी करने के बाद भी नए वेतनमान से आज तक वेतन नही दिया गया है। प्रश्न यह उठता है कि निगम के प्रबंध संचालक के ऐसे कई मनमानीपूर्ण एवं तुगलकी रवैये को क्या शासन अंकुश लगा पाएगा। या राय के जिम्मेदार अफसरों को शासन ने मनमानी करने की खुली छूट एवं अभयदान दिया है। क्या ऐसे अफसरों के माध्यम से शासन की छवि विश्वसनीय एवं साफ-सुथरी रह सकती है। बहरहाल उमेश अग्रवाल को एक मंत्री का रिश्तेदार बताया जाता है और सिर्फ यही वजह से कार्रवाई नहीं होने को लेकर कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
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