बाबूलाल थे जब स्वास्थ्य सचिव
ऐसा वाक्या तो डॉ. रमन सरकार में ही हो सकता है जब बर्खास्त कर्मियों को बकायदा वेतन दिया जा रहा है। सीएमओ डा. किरण मल्होत्रा और स्वास्थ्य सचिव रहे बाबूलाल अग्रवाल के कार्यकाल में कई गड़बड़ी की फाइलें परत दर परत खुल रही है लेकिन कार्रवाई को जांच के नाम पर रोक दिया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ. किरण मल्होत्रा के कार्यकाल में गड़बड़ियों की जो फेहरिश्त है उससे अधिकारी भी हैरान है। वित्तीय अनियमितता से लेकर अनुकम्पा नियुक्ति का मामला हो या संविदा नियुक्ति का मामला यहां तक कि पल्स पोलियों से लेकर अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी फर्जी बिल के माध्यम से पैसा हड़पने के मामले सामने आने की खबर है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि घपलेबाजी की कहानी सामने आने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। बगैर काम के वेतन देने का मामला और गणित वालों को पैसा लेकर कम्पाउण्डर बनाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि 71 बर्खास्त कर्मचारियों को लगातार वेतन देने का मामला सामने आ गया है। वार्ड बॉय, ड्रेसर जैसे पदों पर कार्यरत इन 71 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। इसके विरोध में ये बर्खास्त होने वाले कर्मचारी उच्च न्यायालय चले गए थे। अभी न्यायालय का फैसला आता इससे पहले इन कर्मचारियों ने अपना केस वापस ले लिया।
बताया जाता है कि केस वापस लेने से स्पष्ट हो गया था कि ये अब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी नहीं थे लेकिन उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा वेतन दिया जा रहा है। बताया जाता है कि इस मामले में जबरदस्त लेन-देन हुआ है। इधर इसकी जानकारी अब जब अधिकारियों को हुई तो वे हैरान रह गए लेकिन कहा जाता है कि एक प्रभावशाली मंत्री के दबाव में कार्रवाई रोक दी गई है।
बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग में मंत्री-सचिव स्तर पर जबरदस्त खेल खेला जा रहा है और शिकायतों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया जाता है। बहरहाल स्वास्थ्य विभाग में घपलेबाजी की कहानी थमने का नाम नहीं ले रहा है और यही स्थिति रही तो कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।
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