शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

पर्यटन मंडल में एमजी के आगे मंत्री-सचिव भी बेबस

असली एमडी की भूमिका में श्रीवास्तव?
भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके पर्यटन मंडल में जनरल मैनेजर एमजी श्रीवास्तव को ही असली एमडी माना जाता है। उनका रुतबा ऐसा है कि अच्छों-अच्छों की बोलती बंद हो जाए। एमडी से लेकर सचिवों तक को अपने ऊंगली में नचाने का दावा तो किया ही जाता है। चर्चा इस बात की भी है कि विभागीय मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की दमदारी भी पर्यटन मंडल में आकर खत्म हो जाता है।
पर्यटन मंडल में घपलेबाजी के किस्से नए नहीं है। पर्यटन के प्रचार-प्रसार में छत्तीसगढ़ सरकार ने इस विभाग को लम्बा-चौड़ा बजट भी दिया है और लम्बा-चौड़ा बजट होने के कारण यहां जबरदस्त भ्रष्टाचार हुआ। प्रचार-प्रसार सामग्री, स्टेशनरी घोटाले, मोटल निर्माण से लेकर घास लगाने की बात हो या बाउण्ड्री निर्माण सभी में जबरदस्त घोटाले हुए। कई मामलों के तो पुख्ता सबूत भी सामने आए लेकिन एमजी श्रीवास्तव पर किसी ने ऊंगली उठाने की हिमाकत नहीं की और जिन लोगों ने ऊंगली उठाने की कोशिश भी की तो उन्हें पर्यटन मंडल के बाहर का रास्ता दिखा दिया।
सेवाकाल से ही विवादों में रहे एमजी श्रीवास्तव के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अकूत धन संपदा अर्जित की है और रायपुर में विशाल नगर स्थित उनका मकान तो सिर्फ छाया मात्र है। आर्थिक समायोजन में माहिर एमजी श्रीवास्तव को लेकर यह भी चर्चा रही कि भले ही मध्यप्रदेश के जमाने में वे नौसिखिया थे इसलिए फंस गए लेकिन अब आयकर विभाग भी उनका बाल बांका नहीं कर सकता।
अहमदाबाद से लेकर भुवनेश्वर और मुंबई में पर्यटन मंडल के इस कथित एमडी के जलवे की चर्चा थमने का नाम नहीं लेता। यही नहीं पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जैसे दमदार माने जाने वाले मंत्री के नोटशीट की भी धाियां उड़ाने वाले एमजी श्रीवास्तव के खिलाफ कार्रवाई करने से पुलिस भी हिचकती है। बताया जाता है कि टूरिम बोर्ड में आर्किटेक्ट का काम करने वाले हितेन कोठारी ने पुलिस अधीक्षक को लिखित में शिकायत की थी कि पर्यटन मंडल के जनरल मैनेजर एमजी श्रीवास्तव ने उन्हें गोली से उड़ा देने की धमकी देते हुए गाली गलौज किया है। हितेन कोठारी ने तो एमजी श्रीवास्तव पर पेंचकस से भी हमला करने का आरोप लगाया है।
बताया जाता है कि पुलिस अधीक्षक को किए गए इस शिकायत में कार्रवाई तो दूर जांच नहीं की गई। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एमजी श्रीवास्तव की दमदारी कितनी है और सचिव से लेकर मंत्री तक उनके कारनामों पर क्यों खामोश हैं।
बहरहाल एमजी श्रीवास्तव के हर मामले में साफ बच निकलने को लेकर कई तरह की चर्चा है और कहा जा रहा है कि उनके कारनामों के चलते पर्यटन विकास की कई योजना अधर में लटक गई है।

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