शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

विस उपचुनाव को लेकर भाजपा में बवाल, रमन पर सवाल



चावल योजना से मध्यम वर्ग त्रस्त
शराब से महिलाएं त्रस्त
मंत्रियों पर लूट-खसोट का आरोप
अधिकारी किसी की नहीं सुनते
चौतरफा अपराध से आम लोग त्रस्त
गरीबों का चावल अमीरों की दुकान पर
किसानों को वादा कर 270 रूपये बोनस नहीं दिया
 छत्तीसगढ़ में हुए पहले उपचुनाव वैशाली नगर के बाद महापौर चुनाव में झटका खा चुकी भाजपा ने इसके बाद भी सबक नहीं लिया तो संजरी-बालोद और भटगांव में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में उसे मुंह की खानी पड़ सकती है। बेलगाम होते अधिकारी और मंत्रियों पर लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के अलावा किसानों को 270 रू. बोनस देने का चुनावी वादा भी भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है ऐसे में चावल योजना से त्रस्त मध्यम वर्ग और शराब नीति से नाराज महिलाओं ने भाजपा से मुंह मोड़ लिया तो डॉ. रमन सिंह की कुर्सी पर ही संकट के बादल घिर सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में दलीय स्थिति में भाजपा-कांग्रेस में ज्यादा अंकों का फर्क नहीं है। दूसरी पारी के शुरूआत में ही डॉ. रमन सिंह की टीम को वैशालीनगर के उपचुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त पटकनी देकर भाजपा की सीट छिनने में कामयाब रही है। इसके बाद निगम-पंचायत के चुनाव में भी कांग्रेसने भाजपाई गढ़ माने जाने वाले राजधानी रायपुर, न्यायधानी बिलासपुर और संस्कारधानी राजनांदगांव में भी भाजपा को जमीन दिखा दी है एक और बड़ा निगम दुर्ग में भाजपा किस तरह से जीत हासिल की है, यह किसी से छिपा नहीं है ऐसे में प्रदेश के भटगांव और बालोद विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में क्या होगा इसे सोचकर ही भाजपाईयों के हाथ-पांव फुलने लगे हैं।
बृजमोहन प्रभारी
भटगांव विधानसभा में उपचुनाव के लिए भाजपा ने जिस आनन फानन में दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को प्रभारी बनाया है उसे लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सहानुभूति लहर की संभावना जताते हुए यहां से स्व. रविशंकर त्रिपाठी की पत्नी को प्रत्याशी बनाये जाने की बात कहकर भाजपा के एक वर्ग को नाराज कर दिया है। वहीं बृजमोहन अग्रवाल को प्रभारी बनाकर यह संकेत देने की कोशिश की गई है कि भाजपा हर हाल में चुनाव जीतना चाहता है चाहे इसके लिए पैसों की गंगा बहानी पड़े। उल्लेखनीय है कि बृजमोहन अग्रवाल प्रदेश के न केवल दमदार मंत्री माने जाते है बल्कि उनके विभागों पीडब्ल्यूडी, पयर्टन, संस्कृति और शिक्षा विभाग में दमदारी से घोटाले हुए है। दागदार और विवादास्पद लोगों को इन विभागों के कई प्रमुख पदों पर बिठाने के अलावा भी अग्रवाल पर राजधानी के निगम सभापति चुनाव में भी खरीद फरोख्त के आरोप लगे हैं।
बालोद का प्रभारी शीघ्र
जिस दिन भटगांव का प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल को नियुक्त किया जा रहा था उसी दिन ही बालोद के विधायक मदन साहू का निधन हुआ इसलिए भाजपा ने अभी तक यहां प्रभारी नियुक्त नहीं किया है।
कांग्रेस की रणनीति
दोनों ही विधानसभा में होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने भीतर ही भीतर रणनीति बना ली है। चुनाव कांग्रेस के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों सीटें जीतकर वह रमन सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है और अपनी गरिमा भी वापस ला सकती है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक रमन सरकार के कारनामों का प्रचार प्रसार कर चुनाव जीतने की रणनीति है जिसके तहत उद्योगपतियों और व्यापारी वर्ग को रमन सरकार द्वारा बढ़ावा देने, किसानों से वादाखिलाफी करने, किसानों की जमीन जबरिया अधिग्रहण करने के अलावा रमन सरकार की शराब नीति से त्रस्त होती जनता और गांवों की शांति छीनने का प्रचार प्रसार भी जोर शोर से किया जा सकता है।
यहीं नहीं बढ़ते नक्सली आतंक और चावल योजना से त्रस्त होते मध्यम वर्ग भी भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।
बहरहाल दोनों सीटों पर एक साथ होने वाले इस उपचुनाव में भले ही भाजपा की सत्ता न छिने लेकिन डॉ. रमन सिंह की कुर्सी पर दांव जरूर लग सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें