मंगलवार, 7 सितंबर 2010

स्वागत में सरकार जनता को दुत्कार

दो दिन पूरी सरकार लगी रही चापलूसी में
0 5 शहीदों को फूल चढ़ाने कोई नहीं गया
0 जगह-जगह ट्रैफिक जाम
0 कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़े मोहन-मूणत समर्थक
0 स्टेडियम के चारों ओर की दुकानें बंद
0 जूदेव न स्वयं दिखे न फोटो में ही
0 सरकारी गुण्डागर्दी खुले आम
0 जी-हुजूरी में कांग्रेसियों से भी आगे
0 करोड़ों रुपए फूंके गए
0 ननकी, चम्पू, अमर को भी रोका दिया गया
 भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरी रायपुर क्या आए पूरी सरकार ही उसके ही हुजूरी में लग गई। व्यवस्था के नाम पर न केवल सरकारी गुण्डागर्दी का जमकर प्रदर्शन हुआ बल्कि जोर आजमाईश में प्रदेश के दो मंत्रियों बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत के समर्थकों ने सरेआम दईया-मईया करते एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। जूदेव-साय जैसे वरिष्ठों की अनदेखी ही नहीं हुई स्वागत के चक्कर में बीजापुर में शहीद हुए पांच जवानों को फूल चढ़ाने तक की फुर्सत रमन सरकार के पास नहीं थी। नीतिन गडकरी के स्वागत में फूल बरसाने वाले रमन सरकार व उसके अधिकारियों ने पदों की गरिमा को तार-तार तो किया ही चापलूसी में कांग्रेसियों को भी पीछे छोड़ दिया।
आम आदमी तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरी के छत्तीसगढ़ के लिए उड़ान भरने वाले विमान में बैठने से पहले ही परेशान होने लगे थे। जगह-जगह बैरिकेट्स और सुरक्षा के नाम पर रोक-टोक का सिलसिला शुक्रवार को दिन निकलते ही शुरु हो गया था और पूरी सरकार नीतिन के स्वागत करने में इस हद तक मशगूल रही कि उन्हें आम आदमी की पीड़ा नहीं दिखलाई पड़ा। पहले दिन से ही जनता पर कहर बरपाने का जो सिलसिला शुरु हुआ वह तब ही खत्म हुआ जब शनिवार की रात नीतिन गडकरी रवाना हो गए।
नीतिन गडकरी के स्वागत में न केवल आम कार्यकर्ताओं में होड़ मची रही बल्कि मंत्रियों तक में तना-तनी का माहौल रहा। एक दूसरे के लिए बांहे खिंचने वाले प्रदेश स्तरीय नेताओं ने इतना संयम जरूर बरता कि केवल मुंह से ही काम चलाया। हाथ नहीं उठाया वरना तमाशा तो बन ही चुका था। एक तरफ सरकार स्वागत में कोई कमी नहीं उठा रखी थी तो दूसरी तरफ व्यवस्था में पूरा सरकारी तंत्र पलक बिछाये हुए था। राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ फोटो खिंचवाने की होड़ में कई बार धक्का-मुक्की व गाली गलौच भी हुई लेकिन हर बार मामला संभल गया।
शहीदों के लिए समय नहीं...
नीतिन गडकरी के स्वागत में लगी सरकार की संवेदनशीलता कहें या अपने आका को खुश करने की कवायद लेकिन शहीदों और राष्ट्रप्रेम की वकालत करने वाली भाजपा सरकार के पास इतना भी समय नहीं था कि वे बीजापुर में शहीद हुए 5 जवानों पर फूल माला ही चढ़ा दें। जवानों को श्रद्धांजलि देने न मुख्यमंत्री पहुंचे और न ही मंत्रिमंडल का कोई सदस्य ही पहुंचा।
मोहन-मूणत समर्थक भिड़े
वैसे तो प्रदेश के दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और नगरीय प्रशासन मंत्री राजेश मूणत के बीच लड़ाई जग जाहिर है। गडकरी का स्वागत करने में मची होड़ में वीआईपी रोड पर दोनों मंत्रियों के समर्थक भिड़ गए। पूरा सडक़ जाम हो गया। खुले आम दईया-मईया और लाठी डंडे से हमला शुरु हो गया आधा दर्जन अस्पताल पहुंच गए। अब पुलिस को देखिए इतना होने के बाद भी वह रिपोर्ट का इंतजार कर रही है यदि रिपोर्ट नहीं लिखवाई गई तो क्या 151 के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती। इस लड़ाई में पहली बार मूणत समर्थक भारी पड़े और दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के वे समर्थक पिटे गए जो जमीन या गुण्डागर्दी कर पैसे के बल पर राजनीति कर रहे हैं।
स्टेडियम की सुरक्षा
दूसरे दिन यानी शनिवार को सुभाष स्टेडियम में होने वाले कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए जबरदस्त इंतजाम किए गए। सरकारी गुण्डागर्दी जमकर हुई। सुरक्षा के नाम पर आसपास की दुकानें बंद करा दी गई। एक महिला की मटकी की दुकान में तोडफ़ोड़ की गई वह व्यवथित होकर बद्दुआ देते घूम रही थी लेकिन बेचारी पुलिस को तो सरकार का कहना मानना ही है। स्टापर लगाकर सडक़ बंद करने से लोग हलकान थे। जबकि पहले दिन सौदान सिंह के निज सचिव की करतूत जनता देख चुकी थी।
जूदेव कहां गये...
कहने को तो मूंछ के एवज में दिलीप सिंह जूदेव ने डा. रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनवाया है। कोरग्रुप के सदस्य और बिलासपुर के सांसद दिलीप सिंह जूदेव की दुश्मनी राष्ट्रीय अध्यक्ष से है या रमन सिंह से यह अंदर की बात है लेकिन पूरे कार्यक्रम और प्रचार तंत्र में जूदेव का न होना चर्चा का विषय रहा है और आने वाले दिनों में इसे लेकर बवाल मचे तो अचरज भी नहीं होना चाहिए।
मंत्रियों को चून-चून कर
अपमानित किया गया...
हम ही हैं कि तर्ज पर चले गडकरी के पूरे कार्यक्रम में केवल डा. रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल की ही तूती बोल रही थी। मानों छत्तीसगढ़ भाजपा में इनके अलावा किसी की अवकात नहीं है। पैर तुड़वाने वाले सांसद नंदकुमार साय भले अपनी उपेक्षा को खुलकर न कहे लेकिन आम कार्यकर्ताओं में इसे लेकर जमकर चर्चा रही। कार्यकर्ताओं में यह भी चर्चा रही कि सर्वाधिक अपमान ननकीराम कंवर, अमर अग्रवाल और चंद्रशेखर साहू का जानबूझकर किया गया। कार्यक्रम में उपेक्षित रहे इन तीनों मंत्रियों को तो गडकरी के विदाई के दौरान भी एयरपोर्ट पर रोका गया। लेकिन वे अपने अपमान पर कुछ बोलने की स्थिति में भी नहीं दिखे।
कांग्रेसियों को भी पीछे छोड़ा
राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्वागत में करोड़ों रुपए फूंकने वाले लोगों ने सपने में नहीं सोचा था कि पार्टी अध्यक्ष के स्वागत में इस तरह से जीभ लपलपाई जाएगी। आम कार्यकर्ता के अध्यक्ष बनने की नसिहत देने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरी के स्वागत में जिस तरह से फूल बरसाए गए, स्तुति गान हुआ वह चापलूसी करने वाले कांग्रेसियों को भी शर्मशार करने वाला बताया जा रहा है। पूरी सरकार जिस तरह से दो दिन नीतिन गडकरी के स्वागत सत्कार में लगी रही वैसा तो अटल-अडवानी के साथ भी नहीं हुआ।

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