पत्रिका का आना खबर प्रेमियों के लिए शुभ साबित हो रहा है तो नेताओं और अधिकारियों की बेचैनी बढ़ गई है। यह बात अलग है कि बेशर्मी इतनी ज्यादा है कि कार्रवाी नहीं हो रही है लेकिन सिर्फ कार्रवाई नहीं होने के नाम पर खबर तो नहीं रोकी जा सकती।
लगातार भ्रष्ट आचरण की खबरों से सरकार और उसमें बैठे अधिकारी परेशान है। लेकिन बचने के रास्ते निकाल लिए जा रहे हैं और जिम्मेदारी से मुकरा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के मीडिया के इस तेवर से हैरानी भले ही न हो लेकिन अचानक चले इस बयार से राज्य बनने के पहले की प्रतिष्ठा को लौटा दी है। उन लोगों के मुंह में भी तमाचा जड़ गया है जो लोग मीडिया को सेटर और बिक जाने का दावा करते थे। अब तो सिर्फ सरकारी बेशर्मी की चर्चा ही अधिक हो रही है।
मृत देश की चर्चा
छत्तीसगढ़ से एक बड़े कांग्रेसी नेता के भाई के अखबार ने अपने शिक्षण संस्थान में गबन पर खूब हल्ला मचाया। हालाकि गबन का आरोपी धरा गया और उसे जेल भिजवा कर ही दम लिया गया लेकिन आम लोगों की चर्चा का क्या वे तो बोल ही रहे कि दो-ढाई लाख के गबन पर इतना हाय तौबा मचाने वाले जब ग्रामोद्योग में करोड़ों का गबन करते हैं तब दूसरे लोगों को भी हल्ला मचाना चाहिए।
बेचारा दामू
प्रेस क्लब के इस स.सचिव दामू आम्बेडोर को कानूनी दांव पेंच की वजह से अंदर होना पड़ा। दरअसल प्रेम प्यार के फेर में फंसे इस पत्रकार को फंसा दिया गया और उसके सहयोगी पदाधिकारियों ने भी पल्ला झाड़ लिया। सब कुछ शांति से निपटने से पुलिस भी राहत में है क्योंकि मामला ही ऐसा था कि किसी की कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं हुई।
बौना बंधु फुर्र हुए
प्रेस क्लब में पिछले दिनों बौना बंधुओं ने कांफ्रेंस रखी। उनकी अपनी पीड़ा है लेकिन संयोग से पत्रिका मे भी एक फोटोग्राफर बौना बंधु है। संगठन से जुड़ने इस बंधु को जब साथी फोटोग्राफरों ने दबाव डाला तो वह भाग लिया। ग्रुप फोटो के दौरान हीरा की खोज खबर होते रही।
और अंत में ...
राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ के प्रिंट मीडिया में हरियाली है। वेतन के लिए दिन नहीं गिनने पड़ते लेकिन डीडी न्यूज में काम करने वाले परेशान है। 12 लाख आने की खबर की खुशी भी इंतजार में खत्म होने लगी है।
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