पूरा देश मंहगाई और भ्रष्टाचार की चपेट में है मंहगाई की असली वजह भ्रष्टाचार है। अनाप -शनाप पैसे कमाने वालों की वजह से ही जरूरत की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं। कांग्रेस से लेकर तमाम राजनेतिक दल भ्रष्टाचार और मंहगाई के खिलाफ बोल रहे है। यहां तक कि न्यायालय ने भी भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर की है लेकिन न तो भ्रष्टाचार ही रूक रहा है।
आम आदमी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने के सिवाय कुछ नही कर पा रहा है। ऐसे में अब एक गांधी जी की जरूरत है जो भ्रष्टाचार और मंहगाई के खिलाफ अपना सब कुछ छोड़कर सड़क पर सिर्फ एक लाठी लेकर निकल पड़े। भ्रष्टाचारियो के खिलाफ सामाजिक बहिस्कार जैसे आंदोलन खड़े हो और ऐसे लोगों की संपत्ति राजपत्र करने का कानून बनाने सरकार को मजबूर करे।
गांधी जी की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि मंहगाई के खिलाफ आंदोलन हो। क्या ऐसे व्यक्ति की अब जरूरत नही है जो पूरे देश के लोग एक आव्हान पर हफ्ता भर तक सब्जी खाना बंद कर दे। क्या इससे मंहगाई नही रूक जायेगी। या एक समय ही सब्जी खाने का प्रभावशील आव्हान किया जा सके।
दरअसल मंहगाई का विरोध की बजाय सरकार के विरोध वह भी राजनीतिक स्वार्थ के लिए किये जा रहे है इससे न तो मंहगाई कम हो रही है और न ही आप लोगों की पीड़ा। अनाप शनाप ढंग से पैसे कमाने वाले लोगों ने अनाप शनाप ढंग से खरीददारी कर मंहगाई बढ़ा दी है और सरकार से लेकर विपत्ति दल केवल हल्ला मचा रहे है क्योंकि उन्हें जनता से वोट चाहिए। यदि वोट की मजबूरी नहीं होती तो ये लोग कभी हल्ला ही नही मचाते।
क्या राजनैतिक दलों ने चुनाव में जीतने वाले को टिकिट देने की शर्त रखकर राजनैतिक दलों ने भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा नही दिया है। सत्ता की भूख और सत्ता पाने अनाप शनाप कमाई अपराधियों को संरक्षण देने का खामियाजा आज पुरे देश को मंहगाई के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ तो लुटेरों के लिए पनाहगार होते जा रहा है। भ्रष्टाचार चरम पर है और सरकार ऐसे लोंगों पर कार्यवाही करने की बजाय उसे बचा रही है। आम आदमी में शराब का जहर खोला जा रहा है। महयपवर्ग चावल योजना से त्रस्त है और पूरा प्रदेश आजक की स्थिति पर पहूंच गया है।
क्या अब भी आप लोगों में से किसी की ईच्छा नही है कि वह इस अराजक के खिलाफ गांधी जी बनकर खड़ा हो सके। विदेशी वस्त्रों की होली जलाने की तर्ज पर सब्जी न खाने की घोषणा करें। भ्रष्टाचारियों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करें।
पंडित सुन्दरलाल शर्मा, खूब चंद बघेल, शहीद वीर नारायण सिंह की धरती एक बार फिर लहुलुहान है और एक बार फिर गांधी जी कि जरूरत है तो आइये इस आंदोलन को सफल बनायें।
आम आदमी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने के सिवाय कुछ नही कर पा रहा है। ऐसे में अब एक गांधी जी की जरूरत है जो भ्रष्टाचार और मंहगाई के खिलाफ अपना सब कुछ छोड़कर सड़क पर सिर्फ एक लाठी लेकर निकल पड़े। भ्रष्टाचारियो के खिलाफ सामाजिक बहिस्कार जैसे आंदोलन खड़े हो और ऐसे लोगों की संपत्ति राजपत्र करने का कानून बनाने सरकार को मजबूर करे।
गांधी जी की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि मंहगाई के खिलाफ आंदोलन हो। क्या ऐसे व्यक्ति की अब जरूरत नही है जो पूरे देश के लोग एक आव्हान पर हफ्ता भर तक सब्जी खाना बंद कर दे। क्या इससे मंहगाई नही रूक जायेगी। या एक समय ही सब्जी खाने का प्रभावशील आव्हान किया जा सके।
दरअसल मंहगाई का विरोध की बजाय सरकार के विरोध वह भी राजनीतिक स्वार्थ के लिए किये जा रहे है इससे न तो मंहगाई कम हो रही है और न ही आप लोगों की पीड़ा। अनाप शनाप ढंग से पैसे कमाने वाले लोगों ने अनाप शनाप ढंग से खरीददारी कर मंहगाई बढ़ा दी है और सरकार से लेकर विपत्ति दल केवल हल्ला मचा रहे है क्योंकि उन्हें जनता से वोट चाहिए। यदि वोट की मजबूरी नहीं होती तो ये लोग कभी हल्ला ही नही मचाते।
क्या राजनैतिक दलों ने चुनाव में जीतने वाले को टिकिट देने की शर्त रखकर राजनैतिक दलों ने भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा नही दिया है। सत्ता की भूख और सत्ता पाने अनाप शनाप कमाई अपराधियों को संरक्षण देने का खामियाजा आज पुरे देश को मंहगाई के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ तो लुटेरों के लिए पनाहगार होते जा रहा है। भ्रष्टाचार चरम पर है और सरकार ऐसे लोंगों पर कार्यवाही करने की बजाय उसे बचा रही है। आम आदमी में शराब का जहर खोला जा रहा है। महयपवर्ग चावल योजना से त्रस्त है और पूरा प्रदेश आजक की स्थिति पर पहूंच गया है।
क्या अब भी आप लोगों में से किसी की ईच्छा नही है कि वह इस अराजक के खिलाफ गांधी जी बनकर खड़ा हो सके। विदेशी वस्त्रों की होली जलाने की तर्ज पर सब्जी न खाने की घोषणा करें। भ्रष्टाचारियों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करें।
पंडित सुन्दरलाल शर्मा, खूब चंद बघेल, शहीद वीर नारायण सिंह की धरती एक बार फिर लहुलुहान है और एक बार फिर गांधी जी कि जरूरत है तो आइये इस आंदोलन को सफल बनायें।
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