मंगलवार, 13 मार्च 2012

लूट सको तो लूट लो जब तक मर्जी छूट दो!

नगर निगम रायपुर के अधिकारी-कर्मचारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों के द्वारा हर साल नगर निगम के टैक्स में छूट की आड़ में निगम को करोड़ों रुपये का चूना तो लगा ही रहे हैं स्वयं की जेब भी भर रहे हैं। सरकारें बदली लेकिन किसी ने कार्रवाई की हिम्मत नहीं की। ताजा मामला आर्शीवाद भवन का है जिसका कामर्शियल उपयोग की खबर पूरे छत्तीसगढ़ को है लेकिन निगम के अधिकारियों को यह नहीं दिखता और टैक्स बचाने अपनी जेब गरम किया जा रहा है।
आम आदमी से टैक्स वसूलने निगम के अधिकारी कुर्सी तक करने से पीछे नहीं हटते लेकिन शहर के रसूखदारों से वसूली की बात तो दूर उन्हें टैक्स में छूट देकर अवैध वसूली में मशगुल निगम कर्मी व अधिकारियों की मिली भगत से हर साल निगम को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है।
पूरे छत्तीसगढ़ में शादी ब्याह व पार्टी के लिए किराये से देने के लिए मशहूर बैरनबाजार स्थित आर्शीवाद भवन निगम कर्मियों की लूट का उदाहरण है। आर्शीर्वाद भवन का नक्शा 3-6-86 को छात्रावास के लिए पास किया गया इसके बाद 19-7-94 को पुन: केवल छात्रावास के लिए नक्शा पास किया गया। लेकिन यहां न केवल दुकानें बना दी गई बल्कि डॉ. भट्टर को भी किराये से दे दिया गया। इतना ही नहीं शादी ब्याह से लेकर दूसरे समारोह के लिए किराये से दिया जाने लगा लेकिन इसे धारा 136 (ई) के तहहत संपत्ति कर में छूट दे दी गई। यह सब कैसे हुआ किसी को नहीं मालूम।
सूत्रों ने बताया कि संपत्तिकर बजाने में लगे कान्य कुब्ज सभा शिक्षा मंडल के द्वारा खेले गए इस खेल के एवज में मोर्हरिर से लेकर अधिकारियों को पैसा बांटा गया। वरना क्या वजह है कि जो बात पूरे प्रदेश को मालूम है वह रायपुर नगर निगम में बैठे जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को मालूम नहीं है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि नगर निगम आर्शीवाद भवन को नोटिस जरूर दिया है लेकिन संपत्तिकर में ही कई घपलेबाजी की बजाय पार्किंग के लिए दी गई। जब पार्किंग समस्या सामने आई तब भी निगम का संपत्तिकर के प्रति लापरवाह गंभीर अपराध है।
सूत्रों के मुताबिक शहर में ऐसे रसूखदारों की संख्या कम नहीं है जो संपत्तिकर में किसी न किसी बहाने छूट लेकर अपनी संपत्ति का कार्मशियल उपयोग कर रहे है। रामसागरपारा में खंडेलवाल हो या भारखंडे का मामला हो।
कहा जाता है कि मोर्हरिर के माध्यम से हर साल लाखों करोड़ों वसूलकर निगम को चूना लगाया जा रहा है। तेज तर्रार मंत्री भी ऐसे मामले में अपने को पीछे कर लेते हैं अब देखना यह है कि शहर के रसूखदार क्या करते हैं।
इधर बिहिनिया संझा ने नगर निगम के राजस्व में की जा रही खपलेबाजी को उजागर करने का निर्णय लिया है और ऐसे रखूसदारों का नाम उजागर करेगा जो छल प्रंपच कर संपत्तिकर से निगम को चूना लगा रहे हैं।

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