शनिवार, 7 मार्च 2020

एक अनार सौ बीमार!


निगम-मंडल में नियुक्ति को लेकर रार!
विशेष प्रतिनिधि
रायपुर। यह तो एक अनार, सौ बीमार की कहावत को ही चरितार्थ करता है। वरना निगम मंडल में नियुक्ति को लेकर दावेदारों में इस तरह घमासान नहीं होता। हालांकि निगम-मंडलों पर नियुक्ति मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अधिकार क्षेत्र में है। लेकिन जिस तरह से वोरा गुट, चरणदास महंत, टीएस बाबा, ताम्रध्वज साहू के अलावा विधायकों ने लामबंदी शुरु की है उससे कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई सड़क पर आने की पूरी संभावना है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा के बजट सत्र के बाद विभिन्न निगम व मंडलों  में नियुक्ति किया जाना है। सालभर से नियुक्ति के इंतजार में पलके बिछाए और जी हुजरी करने वालों के सब्र का बांध भी भर चुका है और वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री शीघ्र ही निगम मंडलों में नियुक्ति करें। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिस तरह से राजनीति के माहिर खिलाड़ी के रुप में स्वयं को स्थापित किया है उससे नियुक्ति की राह में बहुत बड़ी बाधा नहीं है लेकिन यह कहना भी गलत होगा कि गुटबाजी में फंसी कांग्रेस के नेता पन्द्रह साल बाद मिल रहे सत्ता सुख से स्वयं को आसानी से वंचित कर दें।
यही वजह है कि निगम मंडल के बहाने लालबत्ती की चाह रखने वालों ने अपनी अपनी ताकत से गुटबाजी को हवा दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में वैसे तो भूपेश बघेल ने जिस तरह से राजनीति की है उससे बाकी नेताओं के सामने चुप्पी ओढऩे के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है लेकिन निगम मंडल में नियुक्ति को लेकर दावेदारों ने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, टीएस बाबा, मोतीलाल वोरा और ताम्रध्वज साहू के गणेश परिक्रमा में लग गये है। सूत्रों की माने तो पीएल पुनिया ने भी अपने कुछ एक-दो समर्थकों को नियुक्ति का आश्वासन भी दे दिया है। तो वोरा गुट से राजीव वोरा सक्रिय हो गये हैं। जबकि टीेएस बाबा और ताम्रध्वज साहू की चुप्पी से समर्थक हैरान है।
बताया जाता है कि कांग्रेस के कई विधायक भी लालबत्ती चाहते हैं और वे भूपेश बघेल से नजदीकियां बढ़ा भी रहे हैं तो कुछ दबाव की राजनीति में लगे हैं हालांकि ऐसे विधायक यह भी स्वीकार करते हैं कि भूपेश बघेल पर दबाव डालना आसान नहीं है और उनकी राजनीति के मिजाज को देखते हुए यह कहना कठिन है कि वे किसी दबाव में नियुक्ति करेंगे। कांग्रेस में भूपेश बघेल के समर्थक माने जाने वालों ने अभी से यह कहना शुरु कर दिया है कि जो संघर्ष के साथी है उन्हें ही लालबत्ती मिलेगी और फूल छाप कांग्रेसियों के लिए इस नियुक्ति में कोई जगह नहीं होगी।
निगम मंडल की नियुक्ति को लेकर कुछ वरिष्ठ कांग्रेसियो ने भी उम्मीद पाल रखी है ऐसे लोगों में जोगी व शुक्ल खेमें के वे लोग भी शामिल हैं जो सरकार बनते ही भूपेश बघेल के नजदीक आने की कोशिश में है। जिधर बम उधर हम की राजनीति करने वालों की सक्रियता भी कांग्रेस में चर्चा का विषय है। राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि भले ही विरोधी गुट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए चुनौती न हो लेकिन सबसे बड़ी चुनौती संगठन के वे नेता हैं जो भूपेश बघेल के संघर्ष के दिनों में कांधे से कांधा मिलाकर हर लड़ाई में साथ खड़े रहे। ऐसे नेताओं को नजरअंदाज करना आसान नहीं हु

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