शुक्रवार, 6 मार्च 2020

आयकर छापे के पीछे का सच!


मुख्यमंत्री के करीबियों पर ही क्यों?
विशेष प्रतिनिधि
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले आईएएस अफसरों व महापौर एजाज ढेबर के ठिकानों पर आयकर के छापे की वजह क्या राजनैतिक है या कुछ और? इसे लेकर राजधानी में चर्चा का बाजार गर्म है।
पिछले दिनों आयकर विभाग ने जिस अंदाज में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबियों को अपने निशाने पर लिया है उसे लेकर कांग्रेसी खेमे में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है और इसे राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है। जबकि दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी आक्रामक मूड में दिख रही है।
आयकर की इस कार्रवाई को राजनैतिक चश्में से देखने की बड़ी वजह कार्रवाई का वह तरीका है जिसमें स्थानीय अधिकारियों को छापे से दूर रखना है। आईएएस विवेक ढांड और अनिल टुटेजा को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता रहा है जबकि एजाज ढेबर की मुख्यमंत्री से राजनैतिक पकड़ किसी से छिपी नहीं है।
सूत्रों की माने तो छापे की बड़ी वजह कांग्रेस को राज्य से जने वाली फंडिग में बाधा डालना है। कहा जाता है कि कांग्रेस को मजबूत करने में जिस तरह से भूपेश सरकार की फडिंग की चर्चा रही है उसे लेकर ही छापे की कार्रवाई की गई है। हालांकि आईपीएस मुकेश गुप्ता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी अफसर अमन सिंह की भूमिका की भी चर्चा है लेकिन छापे की वजह कहीं न कहीं फडिंग है।
इधर यह भी चर्चा है कि छत्तीसगढ़ सरकार के करीबियों ने रेत और शराब के कारोबार में अनाप शनाप पैसा बनाया है और इसकी चर्चा ने जिस तेजी से जनमानस को घेरे में ले रखा था उसकी शिकायत आयकर विभाग को लगातार मिल रही थी। चर्चा में यह भी कहा जा रहा था कि कांग्रेस पार्टी को इस कमाई का बड़ा हिस्सा दिल्ली भेजा जा रहा है और पार्टी की हालत में सुधार होने से मोदी सरकार के सामने दिक्कतें होने लगी थी। लगातार राज्यों के चुनाव खासकर दिल्ली विधानसभा के चुनाव में पराजय के बाद भाजपा में चिंता बढ़ गई है और आने वाले दिनों में बिहार और बंगाल में होने वाले चुनाव से पहले भाजपा अपने विरोधियों को आर्थिक रुप से कमजोर कर देना चाहती है। हालांकि दिल्ली हो या छत्तीसगढ़ कहीं भी पैसों की ताकत काम नहीं आई लेकिन फिर भी भाजपा को भरोसा है कि पैसों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
इधर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के करीबियों के ठिकानों पर आयकर छापे को राजनैतिक ढंग से भी देखने की कोशिश शुरु हो गई है। छापे की कार्रवाई की चपेट में शराब कारोबारी पप्पू भाटिया और होटल व्यवसायी गुरुचरण होरा के भी चपेट में आने को लेकर बाजार में चर्चा गर्म है। कहा जा रहा है कि भाजपा शासनकाल में भी इन दोनों व्यवसायियों का संबंध भाजपा के दिग्गज नेताओं से रहा है और सत्ता बदलते ही जिस तरह से इन दोनो ने जिधर बम उधर हम की नीति अख्तियार की थी उससे इनके खिलाफ भी आक्रोश था। बहरहाल यह ऐसा सच है जो साबित किया ही नहीं जा सकता है।
अब बेचने का कुछ नहीं रहा तो छापे से फंडिग...
राजधानी में मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वालों के ठिकानों में आयकर की दबिश को लेकर सोशल मीडिया में चल रहे चर्चा भी रोचक और मजेदार है। एक ने लिखा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बेचने के बाद भी जब फंडिग की कमी बनी हुई तो मोदी सरकार ने फंडिग जुटाने आयकर विभाग का सहारा लिया है।

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