रविवार, 24 जनवरी 2021

शाबास! ममता...!


 

झूठ-अफवाह और नफरत की इस राजनैतिक दौर में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में जो कुछ कहा वह भारतीय राजनीति में सबक लेने वाला है। भले ही बेशर्म होते नेताओं को इसस कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन वर्तमान राजनीति का यह विद्रुप चेहरा आम जनमानस को देखना ही होगा वरना लोकतंत्र का कोई मतलब ही नहीं रहेगा।

नेताजी सुभाष जी की जयंती पर केन्द्र सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहुंची पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी को जैसे ही संबोधन के लिए बुलाया गया। दर्शक दीर्घा में से नारेबाजी शुरु हो गई। यह किसी के लिए सहज नहीं था, आयोजकों ने हाथ के इशारे से नारेबाजी को शांत तो करा दिया लेकिन तब तक ममता बेनर्जी बिफर चुकी थी। फिर क्या था ममता ने प्रधानमंत्री की ओर देखते हुए माईक संभाला और कहा बुलाकर बेइज्जती करना ठीक नहीं है और अपनी नाराजगी जाहिर कर कार्यक्रम से चली गई।

यह साधारण घटना नहीं है, यह झूठ-अफवाह और नफरत की राजनीति से उपजा वह पौधा है जो अपनी जहरीली हवा से लोकतंत्र पर आघात कर रहा है और ऐसी घटना की पुनर्रावृत्ति नहीं रोकी गई तो इसका जहर लोकतंत्र को लील लेगा।

लेकिन, अफसोस की बात तो यही है कि सत्ता के इस खेल में लोकतंत्र की सुध किसी को नहीं है। ममता बेनर्जी के साथ जो कुछ हुआ और ममता ने जो कुछ कहा वह सब भुलाने की कोशिश होगी।

हैरानी की बात तो यही है कि कल तक राजनैतिक सुचिता की वकालत करने वाले ही वर्तमान राजनीति में गंदगी भरने का काम कर रहे हैं।

यहां यह बताना जरूरी है कि ममता बेनर्जी को लेकर रियूमर स्पीड सोसायटी ने जिस तरह का खेल खेला है वह किसी से छिपा नहीं है। इस संगठन से जुड़े लोगों ने ममता बेनर्जी को मुस्लिम बताने ममता बानो जैसे नामकरण भी किये है। केन्द्र सरकार के मंत्री पश्चिम बंगाल को पाकिस्तान तक कहा है। यही नहीं ममता के खिलाफ वॉट्सअप युविर्सिटी और आईटी सेल ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है वह शर्मनाक तो है ही इस संगठन के संस्कार पर भी सवाल उठे हैं।

सिर्फ सत्ता के लिए नफरत की राजनीति ने इस देश का जो नुकसान किया है वह भले ही इस संगठन को समझ में नहीं आता लेकिन सच तो यही है कि देश की बदहाल होती आर्थिक स्थिति के लिए भी यही नफरत की राजनीति जिम्मेदार है।

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