मंगलवार, 9 जुलाई 2024

टोप्पो का फिर शुरू होगा खेल, केदार ने कर लिया मेल

  टोप्पो का फिर शुरू होगा खेल, केदार ने कर लिया मेल

प्रमोशन भी मिला , पैसा वाला विभाग भी 


भ्रष्टाचार के जिन आरोपी अफसरों को कोग्रेस सरकार ने किनारे लगा दिया था अब वहीं अफसर एक बार फिर सक्रिय हो गये हैं और एक बार फिर से वे मलाईदार पदों पर बैठने लगे हैं।ऐसा ही एक मामला राजेश टोप्पो का है जिन्हें पदोन्नति के साथ ही भारी भरकम जल संसाधन विभाग का सचिव बना दिया गया है। इस विभाग का मंत्री केदार कश्यप हैं और उनकी अपनी कहानी है।

एक तरफ विष्णुदेव साय की सरकार ने कल ही केबिनेट की बैठक में भ्रष्टाचार रोकने का दावा करते हुए सीआईडीसी के सभी रेट कांट्रेक्ट निरस्त करने का निर्णय लेते हुए शासकीय खरीदी जेम पोर्टल से खरीदने का निर्णय लिया है तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के आरोपी राजेग सुकुमार टोप्पो को जल संसाधन विभाग का सचिव बना दिया।

बताया जाता है कि 2005 बैच के आईएएस राजेश कुमार टोप्पो जिस भी विभाग में रहे उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। वे बलोदा बाजार के कलेक्टर भी रहे हैं और जनसंपर्क आयुक्त के पद पर रहने के दौरान उन पर प्राईवेट कंपनी से साँठ गाँठ कर सरकार को करोड़ों रूपये का चूना लगाने का भी आरोप है।

भूपेश साकार ने तो उनके खिलाफ़ ई ओ डब्ल्यू में रिपोर्ट भी लिखवाई है।अप्रैल 2019 तब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी। तब संवाद के पूर्व सीईओ राजेश सुकुमार टोप्पो के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने FIR दर्ज की। आईएएस टोप्पो पर अलग-अलग मामलों में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 7 सी, 13 (1)(अ) और आईपीसी की धारा 120(बी) लगाई गई ।

EOW के अधिकारी जीवन प्रकाश कुजूर ने यह FIR दर्ज कराई थी। तब मेसर्स क्यूब मीडिया एंड ब्रांडिंग प्राइवेट लिमिटेड को भी आरोपी बनाया गया था। आईएएस टोप्पो पर आरोप था कि उन्होंने 2016-2018 के कार्यकाल में शासकीय पैसे का दुरुपयोग कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया। हालांकि, टोप्पो पर कोई खास कार्रवाई हुई नहीं। अब सरकार बदली, और टोप्पो की मंत्रालय में पोजिशन भी।

बता दें कि वर्ष 2018 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही राजेश सुकुमार टोप्‍पो को मंत्रालय में पदस्‍थ कर दिया गया था, लेकिन उन्‍हें कोई विभाग नहीं दिया गया था। कोविड महामारी के दौरान उन्हें OSD बनाया गया और फिर राजस्‍व मंडल का सचिव बनाया गया था।

सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही राजेश टोप्पो ने एक प्राईवेट कंपनी के मालिक के  सहयोग से सरकार में पैठ बनाना शुरु कर दिया था केदार कश्यप और कहा जाता है कि केदार कश्यप के साथ उनकी  दो-दो बार मुलाकात भी हुई। इस संबंध में जब केदार कश्यप से जानकारी लेने की कोशिश की गई तो वे उपलब्ध नहीं थे।

इधर केदार कश्यप को लेकर जिस तरह की चर्चा है वह हैरान कर देने वाला है। संविदा नियुक्ति के अलावा  भी बड़े पैमाने पर भ्रस्टाचार के मामले की लीपापोती की चर्चा भी शुरु हो गई है।

ऐसे में राजेश टोप्पो को जल संसाधन विभाग का सचिव बनाना किसी बड़े खेल को अंजाम देने वाला बताया जा रहा है।

सूत्रों की माने तो राजेय टोप्पो को जल संसाधन विभाग का सचिव बनाने के पीछे रमन सरकार में मंत्री रहे एक विधायक का भी बड़ा रोल है जिसका एक  प्राईवेट कंपनी से रिश्ते की भी चर्चा जमकर होते रही है।

इधर राजेश रोप्पो को सचिव बनाने की खबर से उन अधिकारियों की बाँछे खिल गई है जो कांग्रेस शासन में मलाईदार पदो से वंचित थे। 

इधर विभाग में दैनिक वेतन भोगी और अनियमित कर्मचारियों ने भी दबाव बनाना शुरू  कर दिया है। और कल तो ज्ञापन देने के दौरान मंत्री को कार से उतरने नहीं देने की भी खबर है ।


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