ठन गई कौशिक और चंद्राकर के बीच...
यह तो सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा की कहावत को ही चरितार्थ करता है वरना भारतीय जनता पार्टी के इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच हस कदर जंग नहीं होती कि शिकायत मुख्यमंत्री तक जा पहुंचे।
दरअसल धरमलाल कौशिक और अजय चंद्राकर दोनों ही मंत्री बनने के कतार में है। रमन सिंह ने धमलाल कौशिक को विधानसभा का अध्यक्ष बनवा कर अजय चंद्राकर की कुर्मी वाद की राजनीति पर पहले ही डेंट लगा चुके है तो अजय चंद्राकर को भरोसा है कि लोकसभा वार मंत्री बनाने की रणनीति में वे महासमुद्र के खाली पड़े मंत्री पद पर आसीन हो जायेंगे।
ऐसे में चर्चा है कि दोनों हो नेताओ का रूतबा किसी मंत्री से कम नहीं है। कौशिक का तो अपने क्षेत्र के लोगों से बातचीत का आडियों तक वायरल हो चुका है तो अजय चन्द्राकर की जुबान को लेकर भी चर्चा पहले से गरम है।
कहा जाता है कि दोनों के बीच चल रहे कुर्मीवाद के इस जंग के बीच अब नया मामला आ गया है। सप्लायर का…।
और सप्लायर भी ऐसा वैसा नहीं है, सप्लायर की करतूत से पूरा प्रदेश वाकिक है।
चर्चा है कि सत्ता मिलते हीं अपने अपने सप्लायर को काम दिलाने के फेर में वैसे तो कई भाजपाई उलझे हुए हैं, लेकिन यहां तो मामला हसे छोड़कर किसी को भी काम देने का है।
अब जब विवाद मुख्ययमंत्री तक जा पहुंचा है तो इसका परिणाम क्या होगा कहना मुश्किल है क्योंकि वहाँ भी तो कई घाघ बैठे हैं और जब मामला परसेंटेज का हो तो फिर इस बात का मतलब कहाँ रह जाता है कि कौन कितना चूना लगाने में सक्षम है।
बहरहाल यह लड़ाई अब कुर्मी राजनीति में प्रभाव को लेकर मी चल रहा है ऐसे में राजस्व के साथ खेल खेल रहे टंकराम की कहानी एक अलग ही रूप ले रहा है।
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