भारत पर 50 फ़ीसदी टैरिफ़ क्यों..
इसे एकदम सरल भाषा में समझिये…
यह बात आपको कोई बड़ा मीडिया नहीं बताएगा कि ORF यानी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेंशन क्या है और न ही ये बात कोई बताएगा कि ट्रंप ने रुस से तेल ख़रीदने पर भारत पर चीन से ज़्यादा टैरिफ़ क्यों लगा रहा है…
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बताया कि भारत पर क्यों लगाया गया 50% टैरिफ.....!! उन्होंने कहा कि भारत रूस के सस्ते तेल खरीदकर 16 बिलियन से ज्यादा मुनाफा कमा चुका है. इसमें कुछ भारत के अमीर परिवार हैं।बेसेन्ट ने आगे कहा कि भारत का रूसी तेल आयात पहले 1% से भी कम था और अब यह 42% तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा, " जबकि चीन का अलग मामला है। क्योंकि रूस की ओर से यूक्रेन पर किए गए हमले से पहले चीन अपनी जरूरत का 13 फीसदी तेल रूस से खरीद रहा था और अब 16 फीसदी तेल खरीद रहा है। साथ ही बीजिंग का तेल आयात अलग-अलग स्थानों से है इसलिए उनकी स्थिति अलग है."
रूस से तेल खरीदने को लेकर ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है तो वहीं चीन पर 30 फीसदी टैरिफ ही है।
अब इसे समझना जरूरी है, यदि भारत सरकार इस तेल को रूस से सस्ते दाम में खरीदता तो भारत की जनता को लाभ मिलता।
पर ऐसा नहीं हो रहा है।
क्योंकि ये तेल रूस से अंबानी की कंपनी रिलायंस और नायरा खरीदती है और फिर उसे 45% जैसे भारी भरकम मुनाफा लेकर अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में बेचती है।
राहुल गांधी भी देश की जनता को इसी मिलीभगत को बता रहे हैं कि मोदी देश के लिए नही अपने दोनों आकाओं अदानी, अंबानी की नौकरी, प्रॉफिट में देश के भविष्य को विगत ग्यारह वर्षों से दांव पर लगा रहे हैं।
तब ओआरएफ़ को भी ऐसे समझिए…
2011 के बाद की बात है। उस वक्त मैं सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस अकाउंटेबिलिटी नाम की एक संस्था में बजट एनालिसिस का काम करता था।
CBGA को फोर्ड फाउंडेशन का सपोर्ट था।
हम गरीबों और वंचितों के लिए सरकारी बजट में आबंटन पर नजर रखते और सरकार से ज्यादा राशि देने की मांग करते।
इसके पीछे हमारे पास बदहाली का पूरा रिसर्च डेटा होता और तब के प्लानिंग कमीशन को हमारी बात माननी पड़ती।
खैर, वह "आजादी" से पहले की बात थी। अब मोदी के कुल 5 कॉरपोरेट मित्रो का राज है।
इनमें दो को सभी जानते हैं–अंबानी और अदानी।
आपको पता नहीं होगा कि पिछले 11 साल से यही दोनों भारत की संसद को चलाते हैं।
ज्यादा पुरानी नहीं, 2024 की बात है, जब संसद ने ऑयल फील्ड्स बिल पास करवाया।
मकसद था, पेट्रोलियम क्षेत्र में बड़ी कंपनियों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का फायदा देना।
इस बिल को पास करने के बाद विंडफॉल टैक्स जैसे नए टैक्स को लागू करना मुश्किल हो गया।
एग्जॉनमोबिल जैसी दुनिया की बड़ी कंपनियों ने भारत में तेल निकालने में दिलचस्पी दिखाई और गोदी मीडिया ने इसे निवेश की संभावना बताया।
निवेश तो धेले भर का नहीं हुआ, लेकिन अंबानी की झोली में रूसी तेल आने लगा।
संसद से बिल पास करवाने का काम पर्दे के पीछे ORF ने करवाया था। जाहिर है करोड़ों फूंके गए।
अंबानी 5 से 30 डॉलर तक सस्ता रूसी तेल खरीदकर जामनगर की फैक्ट्री तक लाता और साफ कर यूरोप को बेच देता।
अंबानी ने इस गोरखधंधे में 16 बिलियन डॉलर कमाए। भारत की एक तेल कंपनी ने 86 हजार करोड़ तो भारत पेट्रोलियम ने 1300% ज्यादा मुनाफा कमाया।
भारत की जनता अभी भी 110 रुपए लीटर तेल खरीद रही है।
रिलायंस और नायरा एनर्जी ने पूरी दुनिया को इस मुनाफे के कारोबार का सबक सिखाया।
मोदी सत्ता को भी तेल के बहुत ज्यादा बेस प्राइस का फायदा सालाना करीब 5 लाख करोड़ के टैक्स के रूप में मिला।
अब अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कल खुलेआम इस बात को दुनिया के सामने रख दिया।
ORF की अभी 65% फंडिंग अंबानी करता है। इस संस्था को उसी ने थिंक टैंक के नाम से खड़ा किया और 95% तक फंडिंग की।
ORF में फेसबुक का भी पैसा लगा है और गूगल, जापान बैंक का भी।
ये इतनी ताकतवर है कि रायसीना डायलॉग के नाम से सालाना जलसा करवाती है, जिसमें जयशंकर का विदेश मंत्रालय भी भागीदार होता है।
यानी ORF भारत की विदेश नीति में सीधे तौर पर शामिल है। मोदी सत्ता 11 साल से इसे पालती रही।
ORF के वॉशिंगटन चैप्टर का मुखिया जयशंकर का बेटा है।
कॉरपोरेट्स की फंडिंग से चल रहे इस कथित थिंक टैंक ने अमेरिका से भारत के रिश्ते बिगाड़े, क्योंकि रूस से उसे फायदा था।
विदेश मंत्री पर जानबूझकर ब्रिक्स से दूरी बनाने का आरोप है।
लेकिन, इस बीच ट्रंप का टैरिफ आ गया और सारी ड्रामेबाजी की पोल खुल गई।
नरेंद्र मोदी ने चीन और रूस से रिश्ते सुधारने के लिए डोभाल को लगाया। जयशंकर को नापसंद करने वाले डोभाल ने रूस और चीन से रिश्ते सुधारे।
अब अदानी लाला ने भी चिंतन रिसर्च फाउंडेशन के नाम पर CRF नाम की संस्था बनाई है और नीति आयोग के पूर्व मुखिया अमिताभ कांत को बिठा दिया है।
मोदी सत्ता आगे अदानी लाला के इशारे पर संसद चलाने वाली है।
तो यह खेल अब नरेंद्र मोदी की सत्ता, भारत की विदेश और रक्षा नीति के लिए खतरा बन चुका है।
मोदी सत्ता ने विदेश और रक्षा नीति को उन कंपनियों के हवाले कर दिया है, जिन्हें देश हित की परवाह नहीं।
उन्हें सिर्फ मुनाफा चाहिए। उधर, मोदी सत्ता का एक मंत्री एथेनॉल मिलाकर मोदी सत्ता के समानांतर अपनी सत्ता बना रहा है।
उससे मुकाबले के लिए इंडियन ऑयल ने 2 दिन पहले 160 रुपए लीटर का बिना एथेनॉल वाला पेट्रोल लॉन्च किया है। (साभार)
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