मंगलवार, 23 मार्च 2010

क्या पैसा खिलाकर जाति प्रमाण पत्र बनाया गया है...



छत्तीसगढ में सत्ता के बल पर अधिकारियों से अनैतिक कार्य कराया जा रहा है। वामन राव लाखे वार्ड के पार्षद विजेता मन्नु यादव को पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र दिलाने में तो ऐसी ही भूमिका नजर आ रही है और ऐसा नहीं है तो अधिकारी पैसा खाकर किसी को भी जाति प्रमाण पत्र दे रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय दूरसंचार विभाग में सामान्य वर्ग से टेलीफोन मैकेनीक के पद पर कार्य कर रहे दयालदास मोहरे की पुत्री विजेता यादव को पार्षद चुनाव लड़ने तीन दिन में पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। चूंकि विजेता ने प्रेम विवाह मन्नु यादव से किया है और उसे भाजपा ने टिकिट दी थी। इसलिए सारा खेल आनन-फानन में हुआ।
इस मामले का सबसे रोचक पहलू तो यह है कि विजेता के भाई सुनील को जाति प्रमाण पत्र के लिए दिया आवेदन यह कहकर खारिज किया गया कि मोहारे जाति को छत्तीसगढ़ में पिछड़ी जाति का कोई अधिकार नहीं दिया गया है। यह बात सुप्रीमकोर्ट ने भी तय कर दिया है कि प्रेम विवाह के बाद भी युवती की जाति नहीं बदलेगी। इस नियम के बाद भी यहां विजेता यादव को किस बिना पर पिछड़े वर्ग का जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया यह आसानी से समझा जा सकता है। बहरहाल इस मामले में कांग्रेस के पराजित प्रत्याशी ने याचिका दायर भी कर दी है और देखना है कि सत्ता के गलियारे में इसकी क्या प्रतिक्रिया होती है।

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